Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 05:38 PM
देश के विधायकों और सासंदों पर चल रहे आपराधिक मुकदमों का जल्द फैसला लेने के लिए मोदी सरकार अब बड़ा कदम उठाने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्रीय कानून मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि ऐसी अदालतें साल भर में गठित कर ली जाएंगी। इन 12...
नेशनल डेस्क: देश के विधायकों और सासंदों पर चल रहे आपराधिक मुकदमों का जल्द फैसला लेने के लिए मोदी सरकार अब बड़ा कदम उठाने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्रीय कानून मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि ऐसी अदालतें साल भर में गठित कर ली जाएंगी। इन 12 अदालतों के गठन पर सरकार 7.8 करोड़ रुपए खर्च करेगी। दरअसल नेतओं पर चल रहे मुकदमों में देरी के चलते यह सभी चुनाव में निर्वाचित होकर सांसद या विधायक बन जाते हैं।
ईसी ने की थी दागी नेताओं पर प्रतिबंध लगाने की मांग
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने दागी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। जबकि केंद्र सरकार ने इसे खारिज करते हुए 6 साल की बैन को ही लागू रखने को कहा था। गुजरात और हिमाचल चुनाव में वोटिंग से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं को करारा झटका देते हुए उनके खिलाफ चल रहे मामलों की सुनवाई जल्द पूरी करने के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने का प्लान पेश करने को कहा था।
महाराष्ट्र में सबसे अधिक आपराधिक छवि वाले नेता
अभी हाल ही में आई एडीआर ने 4852 विधायकों और सांसदों के हलफनामे का अध्ययन करने के बाद यह रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिसमें दागी नेताओं को लेकर कई खुलासे हुए थे। जिन 51 जनप्रतिनिधियों ने अपने हलफनामे में महिलाओं के खिलाफ अपराध की बात स्वीकार की है उनमें से 3 सांसद और 48 विधायक हैं। 334 ऐसे उम्मीदवार थे जिनके खिलाफ महिलाओं के प्रति अपराध के मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन उन्हें मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों ने टिकट दिया था। हलफनामे के अध्ययन से यह बात सामने आई कि आपराधिक छवि वाले सबसे ज्यादा सांसद और विधायक महाराष्ट्र में हैं, जहां ऐसे लोगों की संख्या 12 थी। दूसरे और तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल और ओडिशा हैं।