Edited By Yaspal,Updated: 15 Sep, 2024 10:29 PM
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही ‘एक देश, एक चुनाव' को लागू करेगी और उसे भरोसा है कि इस सुधार को सभी दलों का समर्थन मिलेगा
नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही ‘एक देश, एक चुनाव' को लागू करेगी और उसे भरोसा है कि इस सुधार को सभी दलों का समर्थन मिलेगा। सूत्रों ने यह जानकारी दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर सूत्रों ने बताया कि सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर एकजुटता शेष कार्यकाल में भी बनी रहेगी। एक सूत्र ने बताया, ‘‘निश्चित रूप से, इसे इसी कार्यकाल में क्रियान्वित किया जाएगा। यह एक वास्तविकता होगी।''
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से किए गए अपने संबोधन में ‘एक देश, एक चुनाव' की जोरदार वकालत की थी और कहा था कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न हो रही है। मोदी ने कहा था, ‘‘राष्ट्र को ‘एक देश, एक चुनाव' के लिए आगे आना होगा।'' प्रधानमंत्री ने राजनीतिक दलों से ‘‘लाल किले से और राष्ट्रीय तिरंगे को साक्षी मानकर राष्ट्र की प्रगति सुनिश्चित करने'' का आग्रह किया था। हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा द्वारा जारी चुनाव घोषणापत्र में उसने ‘एक देश, एक चुनाव' को प्रमुख वादों के रूप में शामिल किया था।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने इस साल मार्च में पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की। समिति ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने की भी सिफारिश की।
इसके अलावा, विधि आयोग सरकार के सभी तीन स्तरों लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों जैसे नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है। वह सदन में अविश्वास प्रस्ताव या अनिश्चितकाल तक बहुमत नहीं होने की स्थिति में एकता सरकार का प्रावधान करने की सिफारिश कर सकता है। कोविंद समिति ने एक साथ चुनाव कराने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की। उसने 18 संवैधानिक संशोधन करने की सिफारिश की जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी।