Edited By vasudha,Updated: 25 Nov, 2020 09:58 AM
कांग्रेस पार्टी के लिए आज बड़ा ही दुखद दिन है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने आज दुनिया को अलविदा बोल दिया, जिससे पूरा देश सदमे में हैं। राजनीतिक महकमें में कांग्रेस के ''चाणक्य'' कहे जाने वाले पटेल के निधन ने पार्टी को गहरा सदमा दे दिया है।...
नेशनल डेस्क: कांग्रेस पार्टी के लिए आज बड़ा ही दुखद दिन है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने आज दुनिया को अलविदा बोल दिया, जिससे पूरा देश सदमे में हैं। राजनीतिक महकमें में कांग्रेस के 'चाणक्य' कहे जाने वाले पटेल के निधन ने पार्टी को गहरा सदमा दे दिया है। कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे पटेल को 'चाणक्य' के साथ साथ संकटमोचक का नाम भी दिया गया था। जानिए अपने पूरा जीवन को कांग्रेस के नाम समर्पित करने वाले पटेल के राजनीतिक सफर की कुछ खास बातें:-
26 साल की उम्र में पहुंचे थे संसद
सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे पटेल का जन्म 21 अगस्त 1949 को गुजरात में भरुच जिले के पिरामल गांव में हुआ था। उस वक्त भरूच कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था।
वह पहली बार 1977 में 26 वर्ष की आयु में भरूच से लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। पटेल यहां से तीन बार लोकसभा सांसद चुने गए।
अहमद पर्दे के पीछे की राजनीति में भरोसा करते रहे थे, इसलिए कभी भी सामने आ कर राजनीति नहीं की।
सोनिया और राजीव गांधी के रहे विश्वासपत्र
अहमद पटेल 1977 से 1982 तक गुजरात की यूथ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे।
सितंबर 1983 से दिसंबर 1984 तक वो ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी रहे।
पटेल को 1986 में गुजरात कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया।
वह 1988 में गांधी-नेहरू परिवार द्वारा संचालित जवाहर भवन ट्रस्ट के सचिव बनाए गए।
वह सोनिया और राजीव दोनों के विश्वासपत्र रहे। वह तीन बार लोकसभा सांसद के अलावा पांच बार राज्यसभा सांसद भी रह चुके थे।
यूपीए को जीत दिलाने में अहमद पटेल की अहम भूमिका
1991 में जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने, तो अहमद पटेल को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया गया।
1996 में उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का कोषाध्यक्ष बनाया गया था।
2000 सोनिया गांधी के निजी सचिव वी जॉर्ज से मनमुटाव होने के बाद उन्होंने ये पद छोड़ दिया था, बाद में 2001 में सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार बन गए।
पटेल को 2004 व 2009 के लोकसभा चुनावों में यूपीए को जीत दिलाने का अहम रणनीतिकार माना जाता था। उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार के कई अहम फैसलों में निर्णायक भूमिका निभाई।
अहमद पटेल अहसान जाफरी के बाद गुजरात के ऐसे दूसरे मुस्लिम नेता थे जो लोकसभा के लिए राज्य से चुने गए थे।