अदालत ने अंतिम सुनवायी को लेकर उसके परिपत्र को चुनौती देने वाली उमर की अर्जी खारिज

Edited By Monika Jamwal,Updated: 03 Nov, 2020 06:01 PM

the court rejected the application of omar abdullah regarding the final hearing

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें अप्रैल के उसके उस परिपत्र को चुनौती दी गई थी कि जिसमें कहा गया था कि किसी मामले में अंतिम सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये जल्दी...

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें अप्रैल के उसके उस परिपत्र को चुनौती दी गई थी कि जिसमें कहा गया था कि किसी मामले में अंतिम सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये जल्दी करने के लिए दोनों पक्षों को सहमत होना होगा। उमर ने दलील दी थी कि निचली अदालत के 2016 के उस आदेश के खिलाफ उनकी वैवाहिक अपील फरवरी 2017 से अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है जिसमें उनकी तलाक की याचिका को खारिज कर दिया गया था। कोविड-19 महामारी के मद्देनजर अदालतों के सीमित कामकाज के दौरान इसे सुनवायी के लिए नहीं लिया गया क्योंकि उनकी पत्नी पायल अब्दुल्ला ने वीडियो कान्फ्रेंस से सुनवायी के लिए सहमति नहीं दी। अब्दुल्ला अपनी पत्नी से अलग रह रहे हैं। अब्दुल्ला की दलील थी कि उनकी पत्नी की ओर से सहयोग नहीं मिलने की वजह से मामले में देरी हो रही है।

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न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की पीठ ने हालांकि यह कहते हुए कोई राहत देने से इनकार कर दिया कि उनकी पत्नी की ओर से सहयोग नहीं मिलना उच्च न्यायालय के २६ अप्रैल के कार्यालय आदेश को चुनौती देने का कोई आधार नहीं है। पीठ ने कहा, "इसलिए कि प्रतिवादी नम्बर दो (पायल अब्दुल्ला) जल्दी सुनवाई के लिए सहमति नहीं दे रही हैं, यह कार्यालय आदेश की आलोचना करने का आधार नहीं हो सकता। याचिका खारिज की जाती है, क्योंकि इसमें कोई दम नहीं है।"

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उमर ने जुलाई में अपनी अपील पर जल्द सुनवाई की मांग करते हुए एक अर्जी दायर की थी। उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए इस पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि उसके रजिस्ट्रार जनरल ने पहले ही एक परिपत्र जारी किया है जिसमें कहा गया है कि कोविड-१९ के चलते अदालतों के सीमित कामकाज के दौरान, लंबित मामलों की अंतिम सुनवाई के लिए अनुरोध पर तभी विचार किया जाएगा जब दोनों पक्ष सहमत होंगे।PunjabKesari

 

उच्च न्यायालय ने अर्जी खारिज करते हुए कहा था," तथ्य के मद्देनजर कि यह अर्जी दूसरे पक्ष (पायल) की सहमति के साथ नहीं है और न ही सुनवाई में प्रतिवादी के वकील ही उपस्थित हैं, यद्यपि हमें सूचित किया गया है कि अर्जी की एक अग्रिम प्रति उन्हें दी गई थी, हम अर्जी में किये गए अनुरोध को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं हैं।" गौरतलब है कि 30 अगस्त, 2016 को निचली अदालत ने पायल से तलाक की मांग करने वाली उमर की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि वह यह साबित करने में असफल रहे कि अब उनकी शादी के कायम रहने का कोई आधार नहीं बचा है और शादी पूरी तरह टूट चुकी है।

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निचली अदालत ने याचिका खारिज करते हुये कहा था कि उमर अब्दुल्ला च्च्क्रूरता' या 'अलग होने' का अपना दावा साबित नहीं कर पाये जबकि इसी आधार पर तलाक की याचिका दायर की गई थी।  उमर अब्दुल्ला ने तलाक की मांग करने वाली अपनी याचिका में निचली अदालत के समक्ष दावा किया था कि अब उनकी शादी के कायम रहने का कोई आधार नहीं बचा और शादी पूरी तरह टूट चुकी है।  उन्होंने कहा था कि उनकी शादी टूट चुकी है और 2007 से उनके बीच कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा था कि उनकी व पायल की शादी एक सितंबर 1994 को हुई थी और दोनों 2009 से अलग रह रहे हैं। शादी से दंपति के दो बेटे हैं, जो पायल अब्दुल्ला के साथ रहते हैं। 

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