महज 13 किमी की दूरी पर था घर, पांच महीने दूर रहे डॉक्टर, बेटियों ने पूछा- 'घर कब आओगे'

Edited By Yaspal,Updated: 05 Sep, 2020 07:27 PM

the daughters asked  when will you come home

कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए पूरी समर्पण भावना से सेवा में लगे डॉक्टर कई महीनों से इसलिए अपने घर नहीं जा पाए कि कहीं उनके परिवार के सदस्यों में कोविड-19 का संक्रमण न फैल जाए। डॉक्टर अजीत जैन जब देर रात को फोन करते थे तो उनकी बेटियां पूछती...

नई दिल्लीः कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए पूरी समर्पण भावना से सेवा में लगे डॉक्टर कई महीनों से इसलिए अपने घर नहीं जा पाए कि कहीं उनके परिवार के सदस्यों में कोविड-19 का संक्रमण न फैल जाए। डॉक्टर अजीत जैन जब देर रात को फोन करते थे तो उनकी बेटियां पूछती थी ‘‘आप घर कब आओगे?'' दिल्ली में राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में कोरोना वायरस के लिए नोडल अधिकारी लगभग पांच महीने से अपने घर नहीं जा पाए। ड्यूटी और परिवार के सदस्यों के बीच संक्रमण फैलने के डर की वजह से वह घर नहीं गए। दिलगाड गार्डन स्थित अपने अस्पताल से केवल आधे घंटे की 13 किलोमीटर की यात्रा करके जब वह कमला नगर में स्थित अपने घर पहुंचे तो उनकी दो बेटियों ने दरवाजा खोला और उन्हें गले लगा लिया।

जैन की पत्नी ने उनकी ‘आरती' की और माथे पर ‘तिलक' लगाया और उनके बेटे ने डॉक्टर के घर आने का एक वीडियो बनाया। डा. जैन 17 मार्च के बाद पहली बार घर आए। केक काटा गया और परिवार ने लगभग छह महीनों के बाद एक साथ बैठकर खाना खाया। पिछले 170 दिनों तक काम करने के बाद बृहस्पतिवार को पहली छुट्टी लेने वाले डा. जैन ने कहा, ‘‘मार्च में जब मामले बढ़ने लगे तो हम समझ गए कि कोविड-19 उन सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है जिसका मानव जाति ने सामना किया है।''

डा. जैन (52) ने कहा, ‘‘शुरूआत में मैं इस आशंका के कारण घर नहीं गया कि मेरे परिवार में कही संक्रमण न फैल जाए।'' उन्होंने कहा, ‘‘मेरे माता-पिता की उम्र 75 वर्ष से अधिक है। मैं उनके लिए चिंतित था। मैं उनके जीवन को खतरे में नहीं डालना चाहता था।'' उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के बीच वह अपने परिवार से फोन पर ही बात करते थे। उन्होंने कहा, ‘‘लोगों की जान बचाना मेरी पहली प्राथमिकता थी। मैं अपने परिवार से केवल रात लगभग एक या दो बजे बात किया करता था।''

जैन की बेटी आरूषि जैन ने कहा कि परिवार उनके लिए चिंतित था। उन्होंने कहा, ‘‘हम उनसे पूछा करते थे कि पापा आप घर कब आओगे?'' शुरूआत के तीन महीनों में जैन बहुत कम सो पाते थे और उनका फोन लगातार बजता रहता था। डॉक्टर ने अपना निजी मोबाइल नम्बर कोरोना वायरस के उन सभी मरीजों को दे रखा था जिनका या तो इलाज चल रहा है या स्वस्थ होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

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