Edited By Pardeep,Updated: 05 Nov, 2020 04:20 AM
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चमत्कार और भारी लोकप्रियता के बावजूद भाजपा नेतृत्व बिहार को लेकर चिंतित है। राज्य में विधानसभा चुनाव अपने तीसरे चरण में प्रवेश कर गया है और उसके सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी नीतीश कुमार का ग्राफ तेजी से नीचे आ रहा है। इस बात...
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चमत्कार और भारी लोकप्रियता के बावजूद भाजपा नेतृत्व बिहार को लेकर चिंतित है। राज्य में विधानसभा चुनाव अपने तीसरे चरण में प्रवेश कर गया है और उसके सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी नीतीश कुमार का ग्राफ तेजी से नीचे आ रहा है। इस बात ने भाजपा के होश उड़ा दिए हैं।
लॉकडाऊन के दौरान प्रवासी मजदूरों को संभालने, बाढ़ और कोरोना महामारी से निपटने में नीतीश की नाकामी उनको बहुत भारी पडऩे वाली है और यदि बिहार में एन.डी.ए. की पराजय होती है तो यह भाजपा के लिए आने वालों महीनों में मुसीबत लेकर आएगी। ऐसा नहीं है कि नीतीश के गिरते ग्राफ की हकीकत भाजपा को पता नहीं है। आर.एस.एस. और भाजपा द्वारा करवाए गए सभी आंतरिक सर्वेक्षणों में यह बात साफ हो गई थी कि नीतीश कुमार को बिहार में लोग अब पसंद नहीं करते।
मोदी लहर को देखते हुए बिहार से स्थानीय नेताओं ने राज्य में विधानसभा चुनाव अकेले लडऩे की बात उठाई थी। इन नेताओं की मांग को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जून-जुलाई में बिहार पर कई दौर की बातचीत की थी।
इस मंथन के बाद तय हुआ कि नीतीश को छोडऩा पार्टी के लिए भारी पड़ सकता है क्योंकि नीतीश कुमार का लालू यादव की पार्टी राजद, कांग्रेस व वामदलों के गठबंधन के साथ जा मिलने का खतरा था, इसलिए हाईकमान ने नीतीश के साथ ही चुनाव लडऩे का फैसला किया। इसके साथ ही नीतीश कुमार विरोधी लहर का तोड़ ढूंढते हुए चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के रूप में एक विकल्प खड़ा किया गया। यह इस उम्मीद से किया गया कि चिराग पासवान नीतीश विरोधी वोटों को राजद-कांग्रेस-वाम गठबंधन की झोली में जाने से रोक लेंगे।
जैसे-जैसे चुनाव प्रचार में गर्मी आती गई, नीतीश का जनता दल (यू) ध्वस्त होता दिखने लगा। दूसरी ओर, कोरोना ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर हमला बोल दिया। सबसे पहले देवेंद्र फडऩवीस, सुशील मोदी, मंगल पांडे, राजीव प्रताप रूडी, शाहनवाज हुसैन व अन्य इसकी चपेट में आ गए। अमित शाह भी अभी सक्रिय नहीं हैं। चुनाव का पहला चरण महागठबंधन के पक्ष में चला गया है जबकि दूसरा चरण एन.डी.ए. को सहारा देता दिख रहा है। भाजपा का शीर्ष इस सप्ताह सारे हालात की समीक्षा करेगा।