Edited By vasudha,Updated: 05 Jul, 2020 01:36 PM
खूनी संघर्ष की गवाह बनी गलवान नदी अब चिनी सैनिकों के लिए जी का जंजाल बनती जा रही है। ऐसे में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को अपने कदमों को पीछे हटाना पड़ सकता है। अगर ऐसा नही करते हैं तो चीन को भारी नुकसान का सामना करने पड़ेगा...
नेशनल डेस्क: खूनी संघर्ष की गवाह बनी गलवान नदी अब चिनी सैनिकों के लिए जी का जंजाल बनती जा रही है। ऐसे में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को अपने कदमों को पीछे हटाना पड़ सकता है। अगर ऐसा नही करते हैं तो चीन को भारी नुकसान का सामना करने पड़ेगा।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार गलवान नदी के पानी का स्तर तट के काफी ऊपर तक पहुंच गया है। तापमान बढ़ने से आसपास की पहाड़ियों की बर्फ लगातार पिघल रही है जिसका पानी बहकर गलवान नदी में आ रहा है, जिससे वहां की स्थिति खतरनाक हो गई है। गलवान, गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स और पैंगोंग झील में मौजूदा स्थिति के चलते चीनी सेना के लिए वहां रुकना मुश्किल होता जा रहा है।
सैटेलाइट और ड्रोन से ली गई तस्वीरों से भी इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि चीन ने जहां टेंट गाड़े थे वहां पानी भर गया है। सीमा पर मौजूद भारतीय सेना के कमान्डर ने बताया कि चीन के लिए अब यहां ज्यादा देर रुकना मुश्किल हो रहा है। गलवान, गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स और पैंगोंग त्सो में चीन की सैन्य तैनाती को बनाये रखना अब किसी तरह आसान नहीं होगा।
गलवान घाटी लद्दाख और अक्साई चिन के बीच भारत-चीन सीमा के नजदीक है। यहां पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) अक्साई चिन को भारत से अलग करती है। अक्साई चिन पर भारत और चीन दोनों अपना दावा करते हैं। यह घाटी चीन के दक्षिणी शिनजियांग और भारत के लद्दाख तक फैली है। ये क्षेत्र भारत के लिए सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये पाकिस्तान, चीन के शिनजियांग और लद्दाख की सीमा के साथ लगा हुआ है। इस घाटी के दोनों तरफ के पहाड़ रणनीतिक रूप से सेना का बर्फीली हवा से बचाव करते हैंं क्योंकि यहां जून की गर्मी में भी तापमान शून्य डिग्री से कम होता है। भारत गलवान घाटी में अपने इलाके में सड़क बना रहा है जिसका चीन विरोध कर रहा है।