HC की सरकार को फटकार- रेप पीड़िता को मुआवजा देना दान नहीं जिम्मेदारी

Edited By ,Updated: 02 Mar, 2017 03:48 PM

the government to pay compensation to the victim of rape

बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने दुष्‍कर्म पीड़ितों को लेकर महाराष्ट्र सरकार के रवैये को ‘निष्ठुर’ करार देते हुए कहा कि ऐसे लोग याचक नहीं हैं।

मुंबई: बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने दुष्‍कर्म पीड़ितों को लेकर महाराष्ट्र सरकार के रवैये को ‘निष्ठुर’ करार देते हुए कहा कि ऐसे लोग याचक नहीं हैं और महिला पीड़ितों को मुआवजा देना सरकार का दायित्व है, परोपकार नहीं। मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ एक 14 वर्षीय रेप पीड़िता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने सरकार के ‘मनोधर्य योजना’ के तहत 3 लाख रुपए के मुआवजे की मांग की है। उपनगरीय बोरीवली की रहने वाली लड़की ने आरोप लगाया है कि एक व्यक्ति ने शादी का झांसा देकर उसके साथ बलात्कार किया।

अंतिम सुनवाई के दिन सरकार ने कहा कि वह लड़की को सिर्फ 2 लाख रुपए का मुआवजा देगी, क्योंकि यह घटना सहमति से जुड़ी प्रतीत हो रही है। इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि 14 वर्षीय लड़की से इस तरह की समझदारी और परिपक्व निर्णय लेने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। मुख्य न्यायाधीश चेल्लूर ने कहा कि सरकार जिस तरह से इस मामले पर काम कर रही है, वह हमें पसंद नहीं है, यह बहुत ही निर्दयी और निष्ठुर रवैया है।

अदालत में उपस्थित मुंबई के उपनगरीय उप समाहर्ता से उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर इस तरह की चीज आपके परिजन के साथ हो, तो आपको कैसा महसूस होगा। न्यायाधीशों ने कहा कि ऐसे मामलों में आपको (सरकार को) दिल से सोचने की जरूरत है, इस तरह का असंवेदनशील रवैया नहीं होना चाहिए। ऐसे पीड़ितों की मदद करना सरकार का दायित्व है, वे (पीड़ित) याचक नहीं हैं और यह परोपकार का काम नहीं है, ये उनका (पीड़ितों का)अधिकार है।

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