‘जा तुझे कोरोना वायरस लग जाए’, पक्ष में फैसला न सुनाने पर वकील ने न्यायाधीश से कहा

Edited By shukdev,Updated: 07 Apr, 2020 08:35 PM

the lawyer told the judge that you should get corona

अपने पक्ष में फैसला नहीं आने पर एक वकील ने कलकत्ता उच्च न्यायलय के एक न्यायाधीश से कहा कि जा तुझे कोरोना वायरस हो जाए, वकील के इस ‘निकृष्ट'' आचरण से नाराज न्यायाधीश ने उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की अनुशंसा की है। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने...

कोलकाता: अपने पक्ष में फैसला नहीं आने पर एक वकील ने कलकत्ता उच्च न्यायलय के एक न्यायाधीश से कहा कि जा तुझे कोरोना वायरस हो जाए, वकील के इस ‘निकृष्ट' आचरण से नाराज न्यायाधीश ने उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की अनुशंसा की है। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने अदालत की गरिमा को बरकरार रखने में विफल रहने तथा “इस गरिमापूर्ण पेशे के सदस्य के हिसाब से” आचरण नहीं करने पर वकील विजय अधिकारी की निंदा की और उन्हें नोटिस भेजे जाने की तारीख के 15 दिनों के अंदर अवमानना नियम के तहत जवाब देने को कहा है। 

न्यायमूर्ति दत्ता ने यह निर्देश भी दिया कि ग्रीष्म अवकाश के बाद जब अदालत खुलेगी तो यह मामला उचित खंडपीठ द्वारा सुना जाएगा जिसके पास आपराधिक अवमानना के मामले सुनने का अधिकार होगा। कोरोना वायरस महामारी के कारण कलकत्ता उच्च न्यायालय में 15 मार्च से सिर्फ अत्यावश्यक मामलों की सुनवाई हो रही थी और 25 मार्च से वह मामलों की सुनवाई सिर्फ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कर रही है। अधिकारी ने कर्ज अदायगी न करने पर एक राष्ट्रीयकृत बैंक द्वारा उसके मुवक्किल की बस नीलामी पर रोक लगाने की याचिका न्यायमूर्ति दत्ता की अदालत में दी थी। इस बस के 15 जनवी को जब्त किये जाने की जानकारी के बाद अदालत ने इस पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। 

जब न्यायाधीश ने अपना आदेश देना शुरू किया तो नाराज अधिकारी बार-बार उन्हें टोकते रहे। न्यायमूर्ति दत्ता ने अपने आदेश में कहा, “अधिकारी को बार-बार संयमित आचरण के लिए चेतावनी दी गई लेकिन उन्होंने इन पर ध्यान नहीं दिया, उन्हें कहते सुना गया कि मेरा भविष्य वह अंधकारमय बना देंगे और इसलिए उन्होंने मुझे श्राप दिया कि मुझे कोरोना वायरस संक्रमण लग जाए।” न्यायाधीश ने कहा,“अधिकारी को स्पष्ट रूप से बता दिया गया कि न तो मुझे अपने भविष्य के अंधकारमय होने का डर है न ही मैं संक्रमण से डरता हूं लेकिन अदालत की गरिमा मेरे दिमाग में सर्वोच्च है और इसे बरकरार रखने के लिए उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई का निर्देश दिया जा सकता है।”

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