Edited By Yaspal,Updated: 31 Aug, 2019 04:25 PM
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बैंकिंग सिस्टम में सुधार के लिए कई बड़े कदम उठाने की घोषणा की। वित्त मंत्री ने 10 सरकारी बैंकों के विलय की बात कही है। बैंकों के विलय के बाद बैंकों की कई ब्रांच बंद होंगीं और नई ब्रांच
बिजनेस डेस्कः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बैंकिंग सिस्टम में सुधार के लिए कई बड़े कदम उठाने की घोषणा की। वित्त मंत्री ने 10 सरकारी बैंकों के विलय की बात कही है। बैंकों के विलय के बाद बैंकों की कई ब्रांच बंद होंगीं और नई ब्रांच खुलेंगी। बैंकों के विलय का असर इन बैंक के ग्राहकों पर भी होगा। 10 सरकारी बैंकों के विलय से खाताधारकों पर कोई असर नहीं होगा लेकिन उनका थोड़ा काम जरूर बढ़ जाएगा। इस फैसले से आम ग्राहकों को कई काम करने पड़ सकते हैं।
आइए जानें बैंकों के विलय से ग्राहकों पर क्या पड़ेगा असर?
- ग्राहकों को नया अकाउंट नंबर और कस्टमर आईडी मिल सकता है
- जिन ग्राहकों को नए अकाउंट नंबर या IFSC कोड मिलेंगे, उन्हें नए डीटेल्स इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, इंश्योरंस कंपनियों, म्यूचुअल फंड, नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) आदि में अपडेट करवाने होंगे।
- SIP या लोन EMI के लिए ग्राहकों को नया इंस्ट्रक्शन फॉर्म भरना पड़ सकता है
- नई चेकबुक, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड इशू हो सकता है।
- फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) या रेकरिंग डिपॉजिट (आरडी) पर मिलने वाले ब्याज में कोई बदलाव नहीं होगा।
- जिन ब्याज दरों पर व्हीकल लोन, होम लोन, पर्सनल लोन आदि लिए गए हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं होगा।
- कुछ शाखाएं बंद हो सकती हैं, इसलिए ग्राहकों को नई शाखाओं में जाना पड़ सकता है
- मर्जर के बाद एंटिटी को सभी इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सर्विस (ECS) निर्देशों और पोस्ट डेटेड चेक को क्लीयर करना होगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकारी बैंकों का 88 फीसदी बिजनेस इन कंसॉलिडेटेड बैंकों के साथ है। क्षेत्रीय बैंकों के मजबूत कामकाज को देखते हुए इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब एंड सिंध बैंक अपना कामकाज पहले की तरह करते रहेंगे। 2017 में 27 सरकारी बैंक थे। अब सरकारी बैंकों की संख्या सिर्फ 12 रह गई है। देश को 5 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।