जिस स्कूल में पढ़ते है बच्चें, वहीं लिया मां ने भी एडमिशन !

Edited By ,Updated: 19 Feb, 2016 11:51 AM

the mother took the children in school read the admissions

अकसर कहा जाता है कि जहां चाह है वहां राह है। एेसा ही एक वाक्य रायपुर के मां बंजारी गुरुकुल स्कूल में देखने को मिला। जहां एक मां अपने ही बच्चों के साथ उन्हीं के स्कूल में पढ़ने जाती है...

नई दिल्ली: अकसर कहा जाता है कि जहां चाह है वहां राह है। एेसा ही एक वाक्य रायपुर के मां बंजारी गुरुकुल स्कूल में देखने को मिला। जहां एक मां अपने ही बच्चों के साथ उन्हीं के स्कूल में पढ़ने जाती है। रफिया खातून नाम की यह महिला 12वीं क्लास में पढ़ती है, वहीं उनका बेटा आसिफ 11 वीं क्लास और बेटी शाहीन 9वीं की स्टूडेंट हैं।

 

असल में हुआ यू कि रफिया शादी से पहले कभी स्कूल नहीं गई थी,क्याेंकि घर में पढ़ाई का माहौल नहीं था। छोटी उम्र में ही उनकी शादी कर दी गई, बच्चें भी हो गए। जब बच्चें होमवर्क में कुछ पूछते तो बता नहीं पाती थी। बहुत अफसोस होता था। फिर रफिया को अहसास हुआ कि पढ़ाई न करके बड़ी गलती कर दी। बच्चे जब थोड़े बड़े हुए तो रफिया ने उनसे पढ़ने की बात की। थोड़ा मजाक तो उड़ाया गया पर धीरे-धीरे गाड़ी चल निकली।

 

दो साल पहले मां बंजारी गुरुकुल स्कूल के हरीश जोशी से पढ़ाई की बात की तो उन्होंने हौसला बढ़ाया अौर ओपन स्कूल से 10वीं का फार्म भरवा दिया। 11वीं क्लास स्कूल में एडमिशन दे दिया रफिया और दोनों बच्चों की फीस भी माफ कर दी। अब 12वीं में परीक्षा को लेकर नियमों की अड़चन थी। 12वीं के लिए मैक्सिमम एेज 20 साल तय थी और रफिया की उम्र 30 साल थी। स्कूल ने साथ दिया। चिट्ठियां चलीं, फाइलें दौड़ीं, एजुकेशन बोर्ड के चक्कर भी लगाने पड़े।

 

आखिरकार बोर्ड झुका, नियम बदला और रफिया को 12वीं में पढ़ने की मंजूरी मिल गई। रफिया की जिद के आगे एजुकेशन बोर्ड ने नियम बदलकर उन्हें एडमिशन दिया। यहां तक पहुंचने के लिए रफिया ने बहुत मशक्कत की है। रफिया कहती है कि अगर 23 फरवरी से शुरू हो रही परीक्षा में पास हो गई तो और पढ़ूंगी।

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