इलेक्शन डायरीः सबसे बुजुर्ग प्रधानमंत्री का रिकार्ड आज भी मोरारजी देसाई के नाम

Edited By Pardeep,Updated: 24 Mar, 2019 05:23 AM

the oldest prime minister s record is still named after morarji desai

1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने के बाद देश भर में कांग्रेस के प्रति गुस्से की लहर थी और इसी लहर पर सवार होकर मोरारजी देसाई 24 मार्च 1977 को पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने। जिस समय वह प्रधानमंत्री बने उस समय...

नई दिल्ली/जालंधर(नरेश कुमार): 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने के बाद देश भर में कांग्रेस के प्रति गुस्से की लहर थी और इसी लहर पर सवार होकर मोरारजी देसाई 24 मार्च 1977 को पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने।
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जिस समय वह प्रधानमंत्री बने उस समय उनकी उम्र 81 साल थी और सबसे ज्यादा उम्र के प्रधानमंत्री बनने का उनका यह रिकार्ड आज तक कायम है। हालांकि उनकी सरकार 2 साल ही चली और कांग्रेस ने जनता पार्टी में फूट डलवा दी और जुलाई 1979 में मोरारजी देसाई को इस्तीफा देना पड़ा था। उनके बाद प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पाले बैठे चरण सिंह को देश की कमांड मिली।
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मोरारजी देसाई को एक अन्य कारण के लिए भी याद किया जाता है और यह कारण है आजाद भारत के इतिहास की पहली नोटबंदी का। मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री रहते ही 1978 में 1000, 5000 और 10000 रुपए के नोट बंद कर दिए गए थे। उस समय भी जनता में हाहाकार मचा था और सरकार ने इस फैसले को उस समय भी काले धन पर काबू पाने के लिए लिया गया फैसला बताया था। प्रधानमंत्री बनने से पहले मोरारजी देसाई जवाहर लाल नेहरू की सरकार में उपप्रधानमंत्री व इंदिरा गांधी की सरकार में वित्त मंत्री रह चुके थे। जब इंदिरा गांधी ने 14 बैंकों के राष्ट्रीयकरण की योजना बनाई और देसाई से वित्त मंत्रालय वापस लिया तो उन्होंने बागी होकर इंटरनैशनल कांग्रेस (ओ) नाम की पार्टी बना ली।
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इसके बाद ही उनका कांग्रेस विरोध शुरू हुआ और आपातकाल के दौरान इंदिरा की गलतियों को मोरारजी देसाई ने खूब भुनाया और राजनीतिक रूप से मजबूत हुए। 1977 में जब देश के आम चुनाव हुए तो भारतीय लोक दल 295 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत लेकर सत्ता में आया जबकि कांग्रेस उस समय पहली बार 154 सीटों पर सिमट गई थी। हालांकि कांग्रेस को उस समय भी 34.52 प्रतिशत वोट मिले थे और भारतीय लोक दल को उस समय मिले 41.32 फीसदी वोटों के मुकाबले कांग्रेस का वोट महज 7 फीसदी ही कम था लेकिन ये वोट सीटों में तबदील नहीं हो सके थे।

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