Edited By vasudha,Updated: 11 Apr, 2018 01:18 PM
सुप्रीम कोर्ट में बेंचों के गठन और उनके अधिकार क्षेत्र को लेकर नियम बनाने से संबंधित दाखिल जनहित याचिका को कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत के प्रधान न्यायाधीश अपने ‘‘समकक्षों में प्रथम’’ हैं...
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट में बेंचों के गठन और उनके अधिकार क्षेत्र को लेकर नियम बनाने से संबंधित दाखिल जनहित याचिका को कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत के प्रधान न्यायाधीश अपने ‘‘समकक्षों में प्रथम’’ हैं और मुकदमों के आवंटन तथा उनकी सुनवाई के लिए पीठ के गठन का संवैधानिक अधिकार उनके पास हैं। भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए उक्त टिप्पणी की।
CJI पर नहीं दिखा सकते अविश्वास
पीठ ने फैसला लिखते हुए न्यायमूर्ति चन्द्रचूड़ ने संवैधानिक व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि ‘‘भारत के प्रधान न्यायाधीश समकक्षों में प्रथम हैं और मुकदमों के आवंटन तथा पीठों के गठन का अधिकार उनके पास है।आदेश में कहा गया कि चूंकि भारत के प्रधान न्यायाधीश उच्च संवैधानिक पदाधिकारी हैं ऐसे में उच्चतम न्यायालय द्वारा संविधान के तहत आने वाले कार्यों को सुनिश्चित करने के लिए ‘‘उनके द्वारा निभाई जाने वाली जिम्मेदारियों को लेकर कोई अविश्वास नहीं हो सकता है।
केस बंटवारे को लेकर दाखिल की गई थी याचिका
शीर्ष अदालत के वरिष्ठ न्यायामूर्तियों जे. चेलमेश्वर, न्यायमूरंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ द्वारा 12 जनवरी को किये गए संवाददाता सम्मेलन की पृष्ठभूमि में यह जनहित याचिका दायर की गयी है। न्यायमूर्तियों ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) द्वारा मुकदमों के असंतुलित आवंटन का आरोप लगाया था। जनहित याचिका आशोक पांडेय ने दायर की थी।