ऑफ द रिकॉर्डः ‘त्रिशंकु लोकसभा’ बनने की संभावना, राष्ट्रपति कोविंद के हाथ में होगी ‘कुंजी’

Edited By Seema Sharma,Updated: 13 May, 2019 08:25 AM

the possibility of a hung lok sabha key will be hand on president kovind

राजनीतिक विश्लेषक और ‘सट्टा बाजार’ इस बात का स्पष्ट संकेत दे रहा है कि ‘राजग’ को लोकसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाएगा और भाजपा नेता (सुब्रह्मण्यम स्वामी और राम माधव) सरकार बनाने के लिए अन्य पार्टियों का समर्थन प्राप्त करने के खिलाफ नहीं।

नेशनल डेस्कः राजनीतिक विश्लेषक और ‘सट्टा बाजार’ इस बात का स्पष्ट संकेत दे रहा है कि ‘राजग’ को लोकसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाएगा और भाजपा नेता (सुब्रह्मण्यम स्वामी और राम माधव) सरकार बनाने के लिए अन्य पार्टियों का समर्थन प्राप्त करने के खिलाफ नहीं। अब स्पष्ट हो रहा है कि 23 मई को 17वीं लोकसभा ‘त्रिशंकु’ होगी। इस बात को महसूस करते हुए कि ‘खेल अब खुला’ है, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू सभी गैर-राजग पार्टियों को एकजुट करने के लिए सक्रिय हो उठे हैं।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव भी केंद्र की राजनीति में आने के लिए उत्सुक हैं और वह गैर-राजग तथा गैर-यू.पी.ए. पार्टियों का संघीय मोर्चा बनाने में जुटे हुए हैं मगर ये नेता संभवत: इस बात को नहीं समझते कि ‘त्रिशंकु लोकसभा’ होने की स्थिति में भारत के राष्ट्रपति के पास पर्याप्त विशेषाधिकार शक्तियां होती हैं और वह उस किसी भी नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं जो उनको संतुष्ट कर सके कि वह स्थिर सरकार बनाने में सक्षम होगा। स्वर्गीय राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए 1996 में भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था यद्यपि पार्टी के पास केवल 160 सांसद थे और शिवसेना तथा अकाली दल के अलावा उनके साथ कोई सहयोगी दल नहीं था। शर्मा ने वाजपेयी को संसद में बहुमत साबित करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था। वाजपेयी सरकार गिर गई क्योंकि विपक्षी पार्टियां एच.डी. देवेगौड़ा के नेतृत्व में इस अवधि के दौरान एकजुट हो गई थीं।
 

यह अलग बात है कि संयुक्त मोर्चा सरकार भी लंबे समय तक नहीं चल पाई और वाजपेयी ने एक बार फिर गठबंधन सरकार बनाई, लेकिन 1998 में तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर. नारायणन ने उनसे कहा था कि वह पार्टियों के समर्थन का पत्र दिखाएं। इसलिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस बात को लेकर स्वतंत्र हैं कि ‘त्रिशंकु लोकसभा’ बनने की स्थिति में वह कोई भी कदम उठा सकते हैं। नायडू की निराशा का कारण यह है कि उनकी पार्टी तेदेपा विधानसभा चुनावों में हार सकती है और वाई.एस.आर. कांग्रेस के अध्यक्ष जगनमोहन रैड्डी 25 में से कम से कम 20 लोकसभा सीटें जीत सकते हैं।

नायडू कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को मुलाकात करने के लिए बाध्य कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस अलग से जगनमोहन रैड्डी से बातचीत कर रही है। विपक्ष में कांग्रेस एकल सबसे बड़ी पार्टी होगी और किसी वैकल्पिक स्थिर तंत्र में उसका स्टैंड बहुत निर्णायक होगा। राहुल गांधी खामोशी अपनाए हुए हैं और उन्होंने नेताओं को स्पष्ट बता दिया है कि पार्टी 23 मई को परिणाम आने के तुरंत बाद अपनी रणनीति का फैसला करेगी और वह 23 मई को ही इस संबंधी ठोस कदम उठाएगी और सलाह-मशविरा प्रक्रिया के लिए एक सप्ताह तक प्रतीक्षा नहीं करेगी।

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