US ने इस शांति वार्ता में भारत को किया साइड लाइन, PAK को सौंपी जिम्मेदारी

Edited By Yaspal,Updated: 15 Jul, 2019 06:37 PM

the responsibility given by the us to the pakistan side

भारत पिछले 18 वर्षों से अफगानिस्तान का भविष्य संवारने में जुटा हुआ है। लेकिन अब जब अमेरिका वहां से निकलने के लिए तालिबान के साथ शांति वार्ता करना चाहता है, तो भारत को साइड लाइन कहना होगा। हैरत की बात...

इंटरनेशनल डेस्कः भारत पिछले 18 वर्षों से अफगानिस्तान का भविष्य संवारने में जुटा हुआ है। लेकिन अब जब अमेरिका वहां से निकलने के लिए तालिबान के साथ शांति वार्ता करना चाहता है, तो भारत को साइड लाइन कहना होगा। हैरत की बात यह है कि तालिबान का प्रमुख स्पॉन्सर पाकिस्तान इस शांति प्रक्रिया में अहम जिम्मेदारी निभा रहा है। पाकिस्तान ने मौके का फायदा उठाकर खुद को इलाके के जियोपॉलिटिक्स के केंद्र में स्थापित कर लिया है।

हाल ही में तालिबान के साथ शांति समझौते का स्वरूप तैयार करने में अमेरिका, रूस और चीन के साथ पाकिस्तान ने भी भूमिका निभाई थी। 12 जुलाई को पेइचिंग में 'चौपक्षीय साझा बयान' जारी करने को लेकर चारों देशों के बीच चर्चा हुई। इस मीटिंग से पता चलता है कि अफगानिस्तान के अच्छे भविष्य के लिए भारत का लंबा प्रयास किस तरह निष्प्रभावी होता जा रहा है।

भारत के प्रयास को असफल करने की कोशिश
भारत में पूर्व अफगानी राजदूत और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार शाइदा अब्दाली ने कहा कि अफगानिस्तान के साथ रिश्तों को मजबूती प्रदान करने की 18 वर्षों की भारतीय कोशिशें इस मोड़ पर असफल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को विकसित होती स्थिति के प्रति भारत को उदासीनता की वजह से दीर्घकालीन भविष्य में कीमत चुकानी पड़ सकती है। इस शांति प्रतिक्रिया में भारत कहीं नहीं है, और न ही भारत की चिंताओं का वास्तव में कुछ पता चल सका है।

राष्ट्रपति चुनाव को टालना चाहता है अमेरिका
भारत को झटका तब और लगा जब अफगानिस्तान में अमेरिका के राजदूत जॉन बास ने गुरुवार को कहा कि अफगानिस्तान में 28 सिंतबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव तालिबान के साथ शांति वार्ता पूरी होने तक टाला जा सकता है। लेकिन भारत इसके खिलाफ है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो के नई दिल्ली आगमन के दौरान उनसे कहा था कि तालिबान से शांति प्रक्रिया के दौरान भी अफगानिस्तान का राष्ट्रपति चुनाव कराया जा सकता है।

भारत ने अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जलमे खालिजाद और रूस के सामने अफगानिस्तान में अंतरिम सरकार के गठन के प्रस्ताव का भी विरोध किया। हालांकि भारत की चिंताओं पर अफगानिस्तान के प्रमुख पक्षों ने कोई ध्यान नहीं दिया। पिछले सप्ताह अमेरिका और तालिबान ने अस्थाई समझौते के तहत 8 बिंदु तह किए थे। खालिजाद भले ही इसे सेना की निकासी नहीं शांति समझौता बता रहे हों, लेकिन तालिबान के साथ-साथ अन्य पक्ष इसे अमेरिकी की चाल बता रहे हैं।

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