इस तस्कर का जंगलों में दबा है 3000 करोड़ का खजाना, नहीं लगा सुराग

Edited By ,Updated: 27 May, 2016 04:43 PM

the smuggler 3 000 million jackpot is suppressed in the wild not leads

कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन ने हाथी दांत, चंदन की तस्करी और किडनैपिंग के जरिये करीब 3 हजार करोड़ की दौलत...

नई दिल्ली : कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन ने हाथी दांत, चंदन की तस्करी और किडनैपिंग के जरिये करीब 3 हजार करोड़ की दौलत जुटाई थी। कर्नाटक और तमिलनाडु एसटीएफ ने संयुक्त मिशन चलाकर उसका खात्मा कर दिया, लेकिन एसटीएफ या सरकार को वीरप्पन का खजाना और हथियारों का जखीरा आज तक नहीं मिल पाया है। इस खजाने को ढूंढने के लिए कई गांव वाले लगे हुए हैं, लेकिन फिलहाल किसी के हाथ सफलता हाथ नहीं लगी है।

एसटीएफ के आधिकारिक जानकारी के अनुसार, 18 अक्टूबर 2004 को खूंखार चंदन तस्कर वीरप्पन को एनकाउंटर में एसटीएफ ने मार गिराया गया था। बताया जाता है कि इस खजाने को वीरप्पन ने कर्नाटक व तमिलनाडु की सीमा से लगने वाले सत्यमंगलम के घने जंगलों में गड्ढे खोदकर दबाया था। इस इलाके में पैसे, जेवरात व अन्य कीमती जीचें जमीन में दबाकर रखने का चलन काफी पुराना है। गांव वाले बैंक या घर में पैसे या कीमती सामान रखने की बजाय यही तरीका अपनाते हैं।
 
तमिल मैगजीन नक्कीरन के संपादक आर गोपाल (जिन्होंने वीरप्पन का इंटरव्यू लिया था) बताते हैं कि खूंखार चंदन तस्कर वीरप्पन अपनी  कमाई को बड़ी हिफाजत से रखता था। जंगल के बीचोंबीच कई जगह पर बड़े-बड़े गड्ढे खोदे जाते थे और उनके अंदर अनाज के साथ 500 व 1000 के नोटों का बंडल पॉलिथीन में रखकर दबाए गए हैं क्योंकि उनमें कीड़े न लगें। साथ ही साथ वीरप्पन को इस जंगल के चप्पे-चप्पे की जानकारी थी।

तत्कालीन एसटीएफ प्रमुख के विजय कुमार का मानना है कि वीरप्पन जहां भी पैसे दबाता था, उस जगह पहचान के लिए अपने कोडवर्ड में कोई न कोई निशान जरूर छोड़ता था। इस कोडवर्ड को वीरप्पन या उसके कुछ खास लोग ही जानते थे, लेकिन सभी की मौत होने के बाद यह खजाना जमीन में गड़ा हुआ है। हालांकि, कुछ स्थानीय लोग इसकी तलाश में आज भी जुटे हुए हैं।
 
 

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