किसी चुनौती से कम नहीं अमरनाथ यात्रा की सफलता

Edited By Seema Sharma,Updated: 22 Jun, 2018 11:25 AM

the success of amarnath yatra less than any challenge

जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के दौरान राज्यपाल एवं श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड के चेयरमैन का पद संभाल रहे एन.एन. वोहरा के लिए आगामी वार्षिक अमरनाथ यात्रा किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि इस बार उन पर न केवल यात्रा प्रबंधों की प्रशासनिक, बल्कि...

श्रीनगर/जम्मू(बलराम): जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के दौरान राज्यपाल एवं श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड के चेयरमैन का पद संभाल रहे एन.एन. वोहरा के लिए आगामी वार्षिक अमरनाथ यात्रा किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि इस बार उन पर न केवल यात्रा प्रबंधों की प्रशासनिक, बल्कि सुरक्षा संबंधी जिम्मेदारी भी आन पड़ी है। इससे पूर्व, राज्यपाल एन.एन. वोहरा 2008 में भी ऐसी दोहरी भूमिका अदा कर चुके हैं, जब उन पर न केवल अमरनाथ यात्रा की प्रशासनिक जिम्मेदारी थी, बल्कि राज्यपाल शासन लागू होने के कारण सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी भी थी। इसके अलावा केवल जगमोहन ही ऐसे राज्यपाल रहे, जब 6 मार्च, 1986 से 7 नवम्बर, 1986 एवं 19 जनवरी, 1990 से 9 अक्तूबर, 1996 तक राज्यपाल शासन लागू होने के कारण सुरक्षा संबंधी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आई थी।
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वर्ष 2008 के बाद यह दूसरा मौका है, जब श्री अमरनाथ यात्रा के मौके पर एन.एन. वोहरा के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हुआ है। जहां तक 2008 का सवाल है तो उस समय श्री अमरनाथ यात्रा क्षेत्र में बोर्ड को लीज पर जमीन दिए जाने को लेकर जम्मू और कश्मीर दोनों संभागों में एक-दूसरे के खिलाफ ‘तलवारें’ खिंच गई थीं। जब कश्मीर में राज्य सरकार के इस फैसले का विरोध हुआ तो तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में गठित कांग्रेस-पी.डी.पी. सरकार ने यू-टर्न लेते हुए अपना फैसला वापस ले लिया। इसके बाद जम्मू संभाग में जन आंदोलन खड़ा हो गया और जम्मू 62 दिन तक बंद एवं हड़ताल की चपेट में रहा।
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अंतत: गुलाम नबी आजाद सरकार का पतन होने के चलते राज्य में राज्यपाल शासन लागू हो गया। उस समय भी एन.एन. वोहरा ही जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। राज्य के दोनों संभागों में उत्पन्न हुए तनाव का श्री अमरनाथ यात्रा पर असर पडऩा भी स्वाभाविक था, लेकिन अनुमान के विपरीत राज्यपाल शासन के समय 2008 की यात्रा के दौरान पिछले वर्ष की तुलना में ज्यादा शिवभक्तों ने पवित्र अमरनाथ गुफा में हिमशिवलिंग के तौर पर शोभायमान बाबा बर्फानी के दर्शन किए। पिछले कुछ वर्षों में हुई आतंकी घटनाओं के कारण वैसे भी अमरनाथ यात्रियों की तादाद में काफी गिरावट दर्ज की गई है।  अब जबकि, सुरक्षा कारणों का हवाला देकर भाजपा ने सहयोगी पी.डी.पी. से समर्थन वापस ले लिया है तो राज्यपाल के लिए इस वर्ष की यात्रा को सफलतापूर्वक सम्पन्न करवाना बहुत बड़ी चुनौती है। 
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जम्मू-कश्मीर में कब-कब लगा राज्यपाल शासन

समयावधि    राज्यपाल
26 मार्च, 1977 से 9 जुलाई, 1977   लक्ष्मीकांत झा
6 मार्च, 1986 से 7 नवम्बर, 1986   जगमोहन
19 जनवरी, 1990 से 9 अक्तूबर, 1996   जगमोहन
18 अक्तूबर, 2002 से 2 नवम्बर, 2002 एस.के. सिन्हा
11 जुलाई, 2008 से 5 जनवरी, 2009  एन.एन. वोहरा
9 जनवरी, 2015 से 1 मार्च, 2015 एन.एन. वोहरा
8 जनवरी, 2016 से 4 अप्रैल, 2016 एन.एन. वोहरा

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पिछले 17 वर्षों की श्री अमरनाथ यात्रा का विवरण

वर्ष     शिवभक्त
2001     1.19 लाख
2002   1.10 लाख
2003     1.70 लाख
2004   4.00 लाख
2005   3.88 लाख
2006     3.47 लाख
2007     2.96 लाख
2008   5.33 लाख
2009   3.81 लाख
2010     4.56 लाख
2011     6.36 लाख
2012   6.35 लाख
2013   2.60 लाख
2014     3.73 लाख
2015   3.53 लाख
2016     2.20 लाख
2017 2.60 लाख






 

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