सुप्रीम कोर्ट से अब होगा सीधा प्रसारण, टीवी पर देख सकेंगे अदालत की कार्रवाई

Edited By Seema Sharma,Updated: 23 Jul, 2018 03:00 PM

the supreme court will now have a live broadcast

केन्द्र ने आज सुप्रीम कोर्ट से कहा कि प्रयोगात्मक स्तर पर प्रधान न्यायाधीश के न्यायालय में होने वाली सांविधानिक मामलों की न्यायिक कार्रवाई की वीडियो रिकार्डिंग की जा सकती है और उसका सीधा प्रसारण किया जा सकता है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा,...

नई दिल्ली: केन्द्र ने आज सुप्रीम कोर्ट से कहा कि प्रयोगात्मक स्तर पर प्रधान न्यायाधीश के न्यायालय में होने वाली सांविधानिक मामलों की न्यायिक कार्रवाई की वीडियो रिकार्डिंग की जा सकती है और उसका सीधा प्रसारण किया जा सकता है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की खंडपीठ से अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि पायलट योजना के तहत न्यायिक कार्रवाई की वीडियो रिकार्डिंग और सीधा प्रसारण किया जा सकता है। न्यायालय ने इस मामले में अटार्नी जनरल से सहयोग करने का आग्रह किया था। वेणुगोपाल ने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के नतीजों का बाद में विश्लेषण करके इसे और प्रभावी बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रयोग के तौर पर एक से तीन महीने तक न्यायिक कार्रवाई का सीधा प्रसारण करके यह भी पता लगाया जा सकता है कि यह तकनीक कैसा काम कर रही है।

पीठ ने व्यक्तिगत रूप से जनहित याचिका दायर करने वाली वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह सहित सभी पक्षकारों से कहा कि इस संबंध में वे अटार्नी जनरल को अपने सुझाव दें। पीठ ने कहा कि वेणुगोपाल इन सुझाव का संकलन करके उसे न्यायालय में पेश करेंगे जो बाद में उसे मंजूरी देगा। पीठ इस मामले में अब 30 जुलाई को आगे सुनवाई करेगा। शीर्ष अदालत ने नौ जुलाई को कहा था कि न्यायिक कार्रवाई का सीधा प्रसारण अब वक्त की जरूरत है और उसने इस संबंध में सुझाव मांगे थे। पीठ का मानना था कि बलात्कार जैसे मामलों की सुनवाई को छोड़कर अन्य सारे मामलों की सुनवाई में सभी शामिल हो सकते हैं और इस कार्रवाई का सीधा प्रसारण करने से पहले से प्रतिपादित सिद्धांत और भी मजबूत होगा।

जयसिंह ने अपनी याचिका में सांविधानिक और राष्ट्रीय महत्व के मामलों का सीधा प्रसारण करने की अनुमति देने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि नागरिकों को सूचना प्राप्त करने का अधिकार है और सांविधानिक तथा राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों का सीधा प्रसारण किया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि यदि शीर्ष अदालत की कार्यवाही का सीधा प्रसारण संभव नहीं हो तो इसकी वीडियो रिकाॢडंग की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे पहले कानून की छात्रा स्वप्निल त्रिपाठी ने भी शीर्ष अदालत परिसर में सीधे प्रसारण के कक्ष स्थापित करने का अनुरोध किया था।

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