चंद्रयान-2 के चांद पर उतरने के ऐतिहासिक क्षण का दुनिया कर रही इंतजार

Edited By vasudha,Updated: 05 Sep, 2019 01:29 PM

the world is waiting for the historic moment of chandrayaan 2

देश ही नहीं पूरे विश्व की निगाहें अब सात सितंबर पर टिकी हैं जब चंद्रयान-2 लैंडर ‘विक्रम'' अपने साथ रोवर ‘प्रज्ञान'' को लेकर रात डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। इस अभियान के सफल होने पर रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चांद...

नेशनल डेस्क: देश ही नहीं पूरे विश्व की निगाहें अब सात सितंबर पर टिकी हैं जब चंद्रयान-2 लैंडर ‘विक्रम' अपने साथ रोवर ‘प्रज्ञान' को लेकर रात डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। इस अभियान के सफल होने पर रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग' करने वाला दुनिया का चौथा और चांद के अब तक अनदेखे दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला पहला राष्ट्र बन जाएगा। 

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पीएम मोदी 70 बच्चों के साथ देखेंगे ऐतिहासिक क्षण 
लैंडर के उतरने के लगभग चार घंटे बाद इसके भीतर से रोवर बाहर निकलेगा और अपने छह पहियों पर चलकर चांद की सतह पर एक चंद्र दिन (धरती के 14 दिन के बराबर) तक वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा। इस ऐतिहासिक क्षण को नजर भर देखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ देश भर से आये करीब 70 छात्र-छात्राएँ शनिवार तड़के इसरो के बेंगलुरु स्थित केंद्र में मौजूद रहेंगी। मोदी और ये छात्र-छात्राएं चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में होने वाली चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम' की ‘सॉफ्ट लैंडिंग' के द्दश्य सीधे देख सकेंगे।

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चंद्रयान-2 की पहली डी-ऑर्बिटिंग की प्रक्रिया हुई पूरी 
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का जीवनकाल एक साल का है। इस दौरान वह लगातार चांद की परिक्रमा कर धरती पर बैठे इसरो के वैज्ञानिकों को पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह (चंद्रमा) के बारे में जानकारी भेजता रहेगा। चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के सफलतापूर्वक ऑर्बिटर से अलग होने के दो दिन बाद बुधवार को चंद्रयान-2 की दूसरी डी-ऑर्बिटिंग की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हुई। डी-ऑर्बिटिंग का मतलब होता है एक कक्षा से निचली कक्षा में जाना और चंद्रयान-2 की पहली डी-ऑर्बिटिंग की प्रक्रिया मंगलवार सुबह सफलतापूर्वक पूरी हुई थी। चंद्रयान-2 दूसरी डी-ऑर्बिटिंग की प्रक्रिया पूरी करने के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के बहुत करीब पहुंच गया है। इस पूरी प्रक्रिया में नौ सेकंड का वक्त लगा और इसके बाद विक्रम लैंडर तेजी से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की तरफ बढ़ रहा है। 

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सही दशा में कार्य कर रहे ऑर्बिटर और लैंडर  
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर और लैंडर दोनों सही तरह से और सही दशा में कार्य कर रहे हैं। भारत के राष्ट्रीय ध्वज को लेकर जा रहा चंद्रचान-2 सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग'करेगा तथा और उस दौरान प्रज्ञान नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा। इस मिशन में चंद्रयान-2 के साथ कुल 13 स्वदेशी मुखास्त्र यानी वैज्ञानिक उपकरण भेजे गये हैं। इनमें तरह-तरह के कैमरा, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि चंद्रयान 2 को चेन्नई के श्रीहरिकोटा अन्तरिक्ष प्रक्षेपण केन्द्र से 22 जुलाई को लांच किया गया था। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की सटीक दूरी का पता लगाना है। 

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अब तक के मिशनों से भिन्न है चंद्रयान-2   
चंद्रयान-2 मिशन अब तक के मिशनों से भिन्न है। करीब दस वर्ष के वैज्ञानिक अनुसंधान और अभियांत्रिकी विकास के कामयाब दौर के बाद भेजे जा रहे देश के दूसरे चंद्र अभियान से चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के अब तक के अछूते भाग के बारे में जानकारी मिलेगी। इस मिशन से व्यापक भौगोलिक, मौसम संबंधी अध्ययन और चंद्रयान-1 के खोजे गए खनिजों का विश्लेषण करके चंद्रमा के अस्तित्व में आने और उसके क्रमिक विकास की और ज्यादा जानकारी मिल पायेगी। इसके चंद्रमा पर रहने के दौरान चांद की सतह पर अनेक और परीक्षण भी होंगे जिनमें चांद पर पानी होने की पुष्टि और वहाँ अनूठी रासायनिक संरचना वाली नई किस्म की चट्टानों का विश्लेषण शामिल है। 

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