SCO समिट: सामने बैठ थे इमरान खान, पीएम मोदी बोले- कट्टरता से लड़ना बड़ी चुनौती

Edited By Seema Sharma,Updated: 17 Sep, 2021 02:21 PM

the world s challenge increased after the afghanistan crisis pm modi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) को संबोधित करते हुए कहा कि पश्चिमी एशिया में बढ़ते उग्रवाद एवं मजहबी कट्टरवाद से मुकाबले के लिए एक समान रणनीतिक योजना बनाई जाए जो ना केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी है बल्कि नई पीढ़ी के उज्जवल...

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) को संबोधित करते हुए कहा कि पश्चिमी एशिया में बढ़ते उग्रवाद एवं मजहबी कट्टरवाद से मुकाबले के लिए एक समान रणनीतिक योजना बनाई जाए जो ना केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी है बल्कि नई पीढ़ी के उज्जवल भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी ने कहा कि आज कट्टरता बड़ी चुनौती बन गया है। पीएम मोदी जब कट्टरता पर संबोधित कर रहे थे, इस दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान सामने बैठे हुए थे।

PunjabKesari

पीएम मोदी ने अफगान संकट से लेकर कट्टरता पर इमरान को काफी कुछ सुना गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने SCO के 21वें समिट के मुख्य सत्र को वीडियो लिंक के माध्यम से नई दिल्ली से संबोधित करते हुए संगठन में नए सदस्य के रूप में शामिल हुए ईरान और संवाद साझीदार के रूप में सम्मिलित सऊदी अरब, मिस्र एवं कतर का स्वागत किया तथा कहा कि उनके आने से SCO भी अधिक मजबूत और विश्वसनीय बनेगा।

PunjabKesari

मोदी ने कहा कि SCO की 20वीं वर्षगांठ इस संस्था के भविष्य के बारे में सोचने का एक उपयुक्त अवसर है। उनका मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और परस्पर विश्वास के संकट से संबंधित हैं और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता हुआ मजहबी कट्टरवाद है। अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया है। इस मुद्दे पर एससीओ को पहल करके कार्य करना चाहिए।उन्होंने कहा कि यदि इतिहास पर नज़र डालें, तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र उदार और प्रगतिशील संस्कृतियों एवं मूल्यों का गढ़ रहा है। 

PunjabKesari

पीएम मोदी के संबोधन के प्रमुख अंश

  • अफगानिस्तान संकट दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती है और SCO को मिलकर इस पर काम करना चाहिए।
  • भारत सहित एससीओ के लगभग सभी देशों में, इस्लाम से जुड़ी उदार, सहिष्णु और समावेशी संस्थाएं और परम्पराएं हैं। एससीओ को इनके बीच एक मजबूत नेटवर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए। 
  • कट्टरवाद के बढ़ने और असुरक्षा के कारण इस क्षेत्र का विशाल आर्थिक क्षमता का दोहन नहीं हो पाया। खनिज संपदा हो या एससीओ देशों के बीच व्यापार, इनका पूर्ण लाभ उठाने के लिए हमें आपसी कनेक्टिविटी पर जोर देना होगा। इतिहास में मध्य एशिया की भूमिका प्रमुख क्षेत्रीय बाजारों के बीच कनेक्टिविटी के लिए एक सेतु की रही है। यही इस क्षेत्र की समृद्धि का भी आधार था।
  • भारत मध्य एशिया के साथ अपनी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि चारों ओर भूमि से घिरे मध्य एशियाई देशों को भारत के विशाल बाज़ार से जुड़ कर अपार लाभ हो सकता है। ईरान के चाबहार बंदरगाह में हमारा निवेश और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे के लिए हमारा प्रयास, इसी वास्तविकता से प्रेरित है।
  • पिछले वर्षों में भारत ने अपनी विकास यात्रा में प्रौद्योगिकी का सफल सहारा लिया है। चाहे वित्तीय समावेशन बढ़ाने के लिए यूपीआई और रूपे कार्ड जैसी तकनीक हों या कोविड से लड़ाई में हमारे आरोग्य सेतु और कोविन जैसे डिजीटल प्लेटफॉर्म इन सभी को हमने स्वेच्छा से अन्य देशों के साथ भी साझा किया है। हमें एससीओ के साथी देशों के साथ भी इन ओपन सोर्स टेक्नोलॉजी को साझा करने में और इसके लिए क्षमता निर्माण आयोजित करने में खुशी होगी। 
  • एससीओ की सफलता का एक मुख्य कारण यह है कि इसका मूल फोकस क्षेत्र की प्राथमिकताओं पर रहा है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि कट्टरवाद, कनेक्टिविटी और जनता के बीच परस्पर संबंधों पर भारत के सुझाव एससीओ की इसी भूमिका को और सबल बनाएंगे।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!