2050 तक दुनिया को 50 प्रतिशत और अधिक भोजन की आवश्यकता होगी

Edited By Pardeep,Updated: 10 Sep, 2019 11:17 PM

the world will need 50 percent more food by 2050

जलवायु परिवर्तन एक हकीकत है और यह संपूर्ण मानव जाति की खाद्य सुरक्षा को तेजी से प्रभावित कर रही है। इसमें एक बड़ी वजह खेती योग्य जमीन की मात्रा में कमी आना भी है। वर्ष 2050 तक खाद्य सामग्री की वैश्विक मांग 50 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी लेकिन उपज में 30...

ग्रेटर नोएडाः जलवायु परिवर्तन एक हकीकत है और यह संपूर्ण मानव जाति की खाद्य सुरक्षा को तेजी से प्रभावित कर रही है। इसमें एक बड़ी वजह खेती योग्य जमीन की मात्रा में कमी आना भी है।

वर्ष 2050 तक खाद्य सामग्री की वैश्विक मांग 50 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी लेकिन उपज में 30 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान है। यह सभी बातें एक वैश्विक रपट में कही गयी हैं जिसे जलवायु परिवर्तन संधि में शामिल संयुक्तराष्ट्र के सदस्य देशों की मौजूदा बैठक (कॉप) में जारी किया गया है। इस रपट को वैश्विक अनुकूलन आयोग (जीसीए) ने तैयार किया है। इसके अध्यक्ष संयुक्तराष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून हैं।

रपट को यहां संयुक्तराष्ट्र मरुस्थलीयकरण रोकथाम संधि (यूएनसीसीडी) कॉप-14 में जारी किया गया। भारत ने 2021 तक चीन से कॉप-14 की अध्यक्षता ली हुई है। भारत जीसीए में शामिल 19 देशों में से एक है। पर्यावरण सचिव सी. के. मिश्रा इसके आयुक्तों में से एक हैं। रपट को जारी करते वक्त यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव इब्राहीम थियॉ ने कहा कि मरुस्थलीकरण कोई कोल-कल्पित धारणा नहीं है और यदि जलवायु अनुकूलन के लिए निवेश नहीं किया किया गया तो असमानता बढ़ेगी और यह दुनिया के सबसे संकटग्रस्त समुदायों को प्रभावित करेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘2050 तक हमें 10 अरब लोगों का पेट भरने के लिए 50 प्रतिशत अधिक भोजन की जरूरत होगी। अभी हमारा सारा ध्यान जलवायु परिवर्तन को कम करने के उपायों की ओर है लेकिन यह जलवायु परिवर्तन के लिए अनुकूलन की उपायों की लागत पर नहीं होना चाहिए।'' रपट के अनुसार पर्याप्त परिवर्तन के अनुरूप अनुकूलन के उपायों के बिना 2050 तक एक तरफ खाने की वैश्विक मांग 50 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी वहीं उपज में 30 प्रतिशत तक की गिरावट आएगी।

 

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