ऑफ द रिकॉर्ड: राहुल की कोशिश लाई रंग, महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा में सैद्धांतिक रूप से समझौता

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Apr, 2018 01:14 PM

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चुपचाप गठबंधन की रणनीति तैयार करने में व्यस्त हैं और वह स्थिति का जायजा लेने के लिए विपक्षी पार्टियों के प्रमुख नेताओं से बैठकें कर रहे हैं। वह नहीं चाहते कि उनकी मुलाकातों को सार्वजनिक रूप में प्रसारित किया जाए। वह...

नेशनल डेस्कः कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चुपचाप गठबंधन की रणनीति तैयार करने में व्यस्त हैं और वह स्थिति का जायजा लेने के लिए विपक्षी पार्टियों के प्रमुख नेताओं से बैठकें कर रहे हैं। वह नहीं चाहते कि उनकी मुलाकातों को सार्वजनिक रूप में प्रसारित किया जाए। वह माइक्रोप्लानिंग और राज्य-दर-राज्य पर ध्यान दे रहे हैं। जब राहुल गांधी ने पिछले महीने शरद पवार से मुलाकात की तो इसे शिष्टाचारपूर्ण बताया गया। सूत्रों का कहना है कि राहुल इस संबंध में पवार की सलाह चाहते थे और उन पर प्रभाव डाला कि वह अन्य समान विचारधारा वाली पार्टियों से बात करें ताकि भाजपा के खिलाफ अगले लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़े जा सकें।

राहुल ने पवार को यह भी बताया कि वह एक बड़े नेता हैं। उन्हें इस संबंध में पहल करनी चाहिए। इस चर्चा के दौरान दोनों इस बात पर राजी हुए कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव मिलकर लड़ेंगे। बैठक में सीटों के बंटवारे के फार्मूले पर कोई चर्चा नहीं हुई क्योंकि चुनाव होने में अभी एक वर्ष बाकी पड़ा है। महाराष्ट्र में दोनों पार्टियां पिछले 15 वर्षों से सांझीदार रही हैं इसलिए अल्पकालीन नोटिस में भी समझौता करने में कोई समस्या नहीं होगी। वार्ता में भाग लेने वाले सूत्रों ने यह जानकारी दी। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 26 और राकांपा ने 22 सीटों पर अतीत में चुनाव लड़ा था। यह भी फैसला किया गया है कि दोनों पार्टियां राज्य में होने वाले 2 उपचुनाव मिलकर लड़ेंगी और दोनों एक-एक सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगी।

उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में भाजपा की हार से उत्साहित दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ेंगी और 2019 के लोकसभा चुनावों में पहले के ही फार्मूले का अनुसरण करेंगी। राहुल इस चरण पर सीटों की विशेष संख्या पर जोर नहीं दे रहे हैं। उनका लक्ष्य स्पष्ट है कि मोदी को हर कीमत पर हटाना है। इस बात पर भी सहमति हुई है कि मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी का होगा और संभवत: कांग्रेस की तरफ से अशोक चव्हाण ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। राकांपा को अशोक चव्हाण के मुख्यमंत्री बनने पर कोई आपत्ति नहीं मगर पृथ्वीराज चव्हाण को लेकर उसको कुछ आपत्तियां हैं। उसका कहना है कि 2014 में राकांपा-कांग्रेस गठबंधन तोड़ने के लिए वह ही जिम्मेदार थे।

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