Edited By Seema Sharma,Updated: 22 Nov, 2019 05:58 PM
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को स्पष्ट किया कि गैर कानूनी तरीके से भारत में आए अन्य देशों के नागरिकों की पहचान के लिए देशव्यापी स्तर पर राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) बनाने की प्रक्रिया शुरू होने पर इसे असम में भी दोहराया जाएगा। शाह ने...
नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को स्पष्ट किया कि गैर कानूनी तरीके से भारत में आए अन्य देशों के नागरिकों की पहचान के लिए देशव्यापी स्तर पर राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) बनाने की प्रक्रिया शुरू होने पर इसे असम में भी दोहराया जाएगा। शाह ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एनआरसी में छह गैर मुस्लिम धर्मों के शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने से जुड़े एक सवाल के जवाब में स्पष्ट किया कि सरकार चाहती है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश में प्रताड़ना के शिकार होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन पारसी और इसाई धर्म के शरणार्थियों को नागरिकता दी जाए। इसके लिए सरकार नागरिकता कानून में संशोधन करेगी।
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का नाम सुनते ही हर शख्स के दिमाग में कई प्रश्न होंगे जिनके बारे में हम आपको यहां बताने जा रहा हैं। कईयों के दिमाग में होगा कि क्या देश के अन्य राज्यों में भी असम वाला फॉर्मूला ही लागू होगा? या फिर अलग-अलग राज्यों के नागरिकों के लिए नागरिकता साबित करने का अलग-अलग फॉर्मूला अपनाया जाएगा? इतना ही नहीं उस व्यक्ति की नागरिकता कैसे पता की जाएगी जिसके माता-पिता दो अलग-अलग राज्यों से हैं , उनको क्या विकल्प दिया जाएगा।
बता दें कि असम में रहने वाले लोगों को सूची A और B में रखा गया।
असम के लोगों को में सूची A दिए गए कागजातों में से कोई एक जमा करना था। इसके अलावा अगर उनके पास वो दस्तावेज नहीं थे तो दूसरी सूची B में दिए गए दस्तावेजों में से भी किसी एक को दिखाना था जिससे आप अपने असम के पूर्वजों से संबंध साबित कर सकें। इनसे पता चलेगा कि आपके पूर्वज असम के ही थे।
अगर असम का फॉर्मूला ही देशभर में लागू होता है तो इन दस्तावेजों की होगी जरूरत
लिस्ट 'A’ में मांगे गए मुख्य दस्तावज
- 1. 1951 का एनआरसी
- 2. 24 मार्च, 1971 तक का मतदाता सूची में नाम
- 3. जमीन का मालिकाना हक या किरायेदार होने का रिकॉर्ड
- 4. नागरिकता प्रमाणपत्र
- 5. स्थायी निवासी प्रमाण पत्र
- 6. शरणार्थी पंजीकरण प्रमाण पत्र
- 7. किसी भी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस/सर्टिफिकेट
- 8. सरकार या सरकारी उपक्रम के तहत सेवा या नियुक्ति को प्रमाणिक करने वाला दस्तावेज
- 9. बैंक या पोस्ट ऑफिस अकाउंट
- 10. जन्म प्रमाणपत्र
- 11. राज्य के एजुकेशन बोर्ड या यूनिवर्सिटी के प्रमाण पत्र
- 12. अदालत के आदेश रिकॉर्ड
- 13. पासपोर्ट
- 14. कोई भी एलआईसी पॉलिसी
ऊपर दिए गए दस्तावेजों में से कोई भी 24 मार्च 1971 के बाद का नहीं होना चाहिए। अगर असम के किसी नागरिक के पास इस डेट से पहले का दस्तावेज नहीं है तो 24 मार्च 1971 से पहले का अपने पिता या दादा का डॉक्यूमेंट दिखा सकता है। अब जिनके पास 24 मार्च 1971 से पहले का खुद के कोई दस्तावेज नहीं है तो उन्हें अपने पिता/दादा से अपना संबंध साबित करना होगा। ऐसे लोगों को लिस्ट ' B’ में मांगे दस्तावेज दिखाने होंगे।
लिस्ट 'B’ में मांगे गए मुख्य दस्तावज
- 1. जन्म प्रमाणपत्र
- 2. भूमि दस्तावेज
- 3.बोर्ड या विश्वविद्यालय प्रमाण पत्र
- 4. बैंक / एलआईसी / पोस्ट ऑफिस रिकॉर्ड
- 5. राशन कार्ड
- 6. मतदाता सूची में नाम
- 7. कानूनी रूप से स्वीकार्य अन्य दस्तावेज
- 8. विवाहित महिलाओं के केस में सर्कल अधिकारी या ग्राम पंचायत सचिव द्वारा दिया गया प्रमाण पत्र
बता दें कि असम में एनआरसी से करीब 19.6 लाख लोगों को बाहर किया गया है। हालांकि सरकार ने जिनके नाम लिस्ट में छूट गए हैं को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए ट्रिब्यूनल में अपील दायर करने की सुविधा दी है जो कि असम की हर तहसील में मुहैया कराई जाएगी।