आधार की सुरक्षा पर उठते रहे हैं ये सवाल

Edited By Seema Sharma,Updated: 27 Sep, 2018 09:22 AM

these questions are rising on the security of the aadhar

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने आधार पर अपना अहम फैसला सुनाते इशकी वैधता तो बरकरार रखी लेकिन बैंकों, कंपनियों, मोबाइल सिम और स्कूलों में एडमिशन के लिए इसकी अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है।

नेशनल डेस्कः बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने आधार पर अपना अहम फैसला सुनाते इशकी वैधता तो बरकरार रखी लेकिन बैंकों, कंपनियों, मोबाइल सिम और स्कूलों में एडमिशन के लिए इसकी अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। वहीं जब आधार कानून लाया गया था तो इसकी सुरक्षा को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इसे लेकर विरोधियों ने कई सवाल उठाए थे। इसे लेकर यूआईडीएआई भी अपना पक्ष रखती रही है, जिसमें ये सवाल खूब सुर्खियों में रहे थे।

1 . डाटा की सुरक्षा 
यूआईडीएआई का पक्ष : आधार डाटा की सुरक्षा को लेकर यूआईडीएआई ने न्यायालय में दावा किया कि 12 अंकों का यह नंबर पूरी तरह से सुरक्षित है। रजिस्ट्रेशन के समय दी जाने वाली कोई भी जानकारी साझा नहीं की जाती है। 

आलोचकों का नजरिया : डाटा सुरक्षा को लेकर आलोचकों का कहना था कि इस व्यवस्था में सबसे बड़ी चुनौती हमारी व्यवस्था है। समस्या सिर्फ केंद्रीय योजनाओं में डाटा के प्रयोग से नहीं है, बल्कि खतरा उन लोगों से है जो इस प्रक्रिया में शामिल हैं। उनके द्वारा डाटा को अन्य लोगों से साझा किए जाने का खतरा सबसे अधिक है। इसमें सबसे ज्यादा खतरा लोगों की पहचान उजागर होने का है। 

2. आधार नंबर लीक 
आधार नंबर के लीक होने का खतरा सबसे ज्यादा है दरअसल सरकारी योजनाओं में इसका प्रयोग किए जाने के बाद बेवसाइटों पर इसे प्रकाशित किए जाने के भी मामले सामने आए हैं। इसके जरिए लोगों तक आसानी से आधार नंबर पहुंचने का खतरा है। जुलाई 2017 में ऐसा ही एक मामला सामने आया था जिसमें निदेशालय से बेवसाइट पर वृद्धावस्था पेंशन से जुड़ा डाटा साझा किया गया था। इसमें करीब 10 लाख लोगों का आधार नंबर सार्वजनिक हो गया था। 

यूआईडीएआई का पक्ष  : आधार संख्या को प्रकाशित करना या फिर साझा करना आधार एक्ट के तहत अवैध है। हालांकि आधार संख्या के साझा किए जाने से कोई भी व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं होती है। यह ठीक उसी तरह से है जिस तरह से मोबाइल नंबर, बैंक अकाउंट नंबर या फिर पैन नंबर है, जिसके जरिए उपभोक्ता की व्यक्तिगत जानकारी का पता नहीं लगाया जा सकता है। 

आलोचकों का तर्क : आधार नंबर लीक को लेकर आलोचकों का तर्क था कि इसे चोरी किए जाने के साथ ही इसका दुरुपयोग किए जाने का खतरा सबसे ज्यादा है। जिसमें पिछले साल अभिनेत्री उर्वशी रौतेला के आधार नंबर से होटल बुक कराने के अलावा वित्तीय चोरी की घटनाओं का उदाहरण भी दिया गया। साथ ही कहा गया कि सभी जगह इसका प्रयोग किए जाने से इसका खतरा 100 गुना अधिक बढ़ जाता है।

नई व्यवस्था : आधार नंबर चोरी और उसके दुरुपयोग के मामले सामने आने के बाद यूआईडीएआई ने इसे सुरक्षित बनाने के लिए वर्चुअल आईडी पेश की है। 16 अंकों का यह नंबर बेवसाइट के जरिए जनरेट कर अपनी पहचान बताई जा सकती है, लेकिन इससे 12 अंकों का आधार नंबर बताने की जरूरत नहीं होगी।  

3. प्रमाणीकरण के लिए प्रयोग 
प्रमाणीकरण के लिए क्या इसका बायोमेट्रिक प्रयोग किया जा सकता है, इसे लेकर फिंगर प्रिंट और आइरिस डाटा पर भी विवाद रहा है। 

यूआईडीएआई का पक्ष  : बायोमेट्रिक का प्रयोग पासवर्ड की तुलना में ज्यादा सुरक्षित है। यूआईडीएआई ने कहा कि जिस तरह से हम अंगूठे के प्रयोग या फिर हस्ताक्षर को सुरक्षित मानते हैं। उसी तरह से यह भी पूरी तरह से सुरक्षित है। 

आलोचकों का तर्क : प्रमाणीकरण के लिए बायोमेट्रिक के प्रयोग को आलोचकों ने त्रुटिपूर्ण बताया था। इसे लेकर मुख्य रूप से दो तर्क दिए जा रहे थे। इसमें प्रथम यह कि पासवर्ड सुरक्षित है जबकि बायोमेट्रिक नहीं, क्योंकि डिजिटलीकरण के दौरान में फिंगर प्रिंट को चोरी किया जा सकता है। इसे लेकर उन्होंने जर्मन रक्षा मंत्री की हाई रेज्यूलेशन फोटो से हैकर ने फिंगर प्रिंट चोरी कर लिया था। दूसरा तर्क दिया कि यदि किसी मजबूरी में आपकी बायोमेट्रिक पहचान उजागर हो जाती है तो इसे बदला नहीं जा सकता है, जबकि पासवर्ड को बदला जा सकता है। 

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