राजधानी में लोगों को अब नहीं डराएगा खूनी दरवाजा

Edited By vasudha,Updated: 23 Dec, 2018 11:17 AM

this door will not scare people in the capital anymore

राजधानी दिल्ली में प्रवेश करने के लिए 13 दरवाजे बनाए गए थे, इन सभी दरवाजों का अपना गौरवपूर्ण इतिहास है लेकिन इनमें से एक दरवाजा आज भी लोगों को डराता है, जिसे खूनी दरवाजा के नाम से जाना जाता है...

नेशनल डेस्क (अनामिका सिंह) : राजधानी दिल्ली में प्रवेश करने के लिए 13 दरवाजे बनाए गए थे, इन सभी दरवाजों का अपना गौरवपूर्ण इतिहास है लेकिन इनमें से एक दरवाजा आज भी लोगों को डराता है, जिसे खूनी दरवाजा के नाम से जाना जाता है। लेकिन अब यह दरवाजा डराएगा नहीं क्योंकि भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) ने इसके जीर्णोद्धार की शुरुआत कर दी है। जहां कुछ दिनों बाद ही पर्यटक इस दरवाजे को सुंदर रूप में देख पाएंगे, वहीं एएसआई खूनी दरवाजे के 100 फीट की दूरी पर एक खूबसूरत पार्क भी बनाएगी। ताकि इसे देखने आने वाले पर्यटक सुस्ता भी सकें। एएसआई की देखरेख में दरवाजे के संरक्षण का काम मजदूरों द्वारा किया जा रहा है। 
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बता दें कि खूनी दरवाजा सही मायने में दरवाजा ना होकर तोरण है, अफगानी-मुगलशैली में बना दरवाजा एएसआई के संरक्षित इमारतों में शुमार किया है। यह दरवाजा 15.5 मीटर ऊंचा है और दिल्ली क्वार्ट्जाइट पत्थर का बना है। इसके ऊपर चढऩे के लिए दरवाजे के नीचे तीन सीढिय़ां भी बनी हैं। जिससे होकर दरवाजे के ऊपरी सतह तक पहुंचा जा सकता है। दरवाजे के जर्जर हो चुके हिस्से को भरने के साथ ही उसे पुराने रंग रूप में ढालने की कोशिश की जा रही है। 
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पुरातत्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस दरवाजे के चारों तरफ मरम्मत का काम शुरू किया जा चुका है। निचले हिस्से में दरारे भरने से पहले खुदाई की जाएगी। फिर उस पर चूने का घोल लगाया जाएगा और मजबूती प्रदान करने के लिए ऊपरी सतह पर भी खुदाई करवाई जा रही है। यहां नए पत्थरों को मसाले की मदद से जोड़ा जाएगा और दरवाजे के अंदर आने वाले रास्तों की मरम्मत भी की जाएगी। अधिकारी ने बताया कि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए संरक्षण का काम पूरा होने के बाद जल्द ही टिकट की व्यवस्था भी विभाग करने जा रहा है। 

क्या है खूनी दरवाजे का इतिहास
इसे कई अमानवीय घटनाओं से जोड़ा जाता है। अकबर के बाद जहांगीर को मुगल सम्राट बनाने से इंकार करने पर जहांगीर ने अब्दुल रहीम खानेखाना के दो बेटों को मरवाकर उनके शवों को सडऩे के लिए यहां छोड़ दिया था। औरंगजेब ने अपने बड़े भाई दारा शिकोह को हराकर उसका सिर इसी दरवाजे पर लटकवाया था। वहीं 1739 में नादिरशाह ने दिल्ली चढ़ाई के दौरान यहां बहुत खून बहाया था लेकिन इस लाल दरवाजे का नाम खूनी दरवाजा तक पड़ा जब 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश जनरल विलियम हॉडसन ने बहादुरशाह जफर के बेटों मिर्जा मुगल और किज्र सुल्तान व पोते अबू बकर को यहां गोली मारी थी।
 

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