लंबी अवधि के इक्विटी निवेश के लिए यह बेहतर समय

Edited By shukdev,Updated: 28 Mar, 2020 08:45 PM

this is a good time for long term equity investment

कोरोना वायरस से संबंधित घटनाक्रमों और इससे उपजी चिंताओं के मद्देनजर बाजार ने घरेलू और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। वर्तमान में, इक्विटी मूल्यांकन सस्ते हैं और निवेशकों में घबराहट का माहौल है। अतीत में इस तरह की घटनाएं ...

बिजनेस डेस्क: कोरोना वायरस से संबंधित घटनाक्रमों और इससे उपजी चिंताओं के मद्देनजर बाजार ने घरेलू और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। वर्तमान में, इक्विटी मूल्यांकन सस्ते हैं और निवेशकों में घबराहट का माहौल है। अतीत में इस तरह की घटनाएं लंबी अवधि के इक्विटी निवेश के लिए आकर्षक साबित हुए हैं। ऐसा अवसर एक दशक में एक बार आता है।

पिछली बार निवेशकों को ऐसा मौका 2008 और 2001 में मिला था। तीन से पांच साल तक के निवेशक भारतीय शेयरों से उम्मीद से ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। याद रखें, जब भी बाजार बुरे दौर से गुजरता है तो समाचार का प्रभाव बेहद नकारात्मक होता है और कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता है कि आगे क्या होगा। इसका पता तो अतीत में जाने के बाद ही लगता है। यहां तक कि डेट मार्केट वर्तमान में आकर्षण दिखाई पड़ता है और साथ ही निवेश का एक दिलचस्प अवसर प्रस्तुत करता है। इसका कारण अच्छे क्रेडिट का प्रसार है। इसलिए, यहां भी हमारे पास एक दशक में एक बार कॉर्पोरेट पेपर में निवेश करने और इस समय इक्विटी में निवेश करने का अच्छा अवसर आया है।
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हमारे इक्विटी वैल्यूएशन इंडेक्स (फैक्टशीट में प्रकाशित) के अनुसार, बाजार ओवरसोल्ड क्षेत्र में है और अब यह संकेत दे रहा है कि इक्विटी में निवेश करने का समय आ गया है। हमारा मानना है कि कोरोनावायरस पर बाजार में सुधार होने की संभावना है। कोरोनावायरस पर अच्छा समाचार मिलते ही बाजार में सुधार होने लगेगा। इस धारणा को बाधित करने वाला कारक यह है कि फिलहाल बाजार में 21 दिन की अवधि से आगे के लॉकडाउन के बारे में कोई जानकारी नहीं है। साथ ही हमें नहीं पता कि कोरोनावायरस का प्रभाव कब तक चलेगा। आपूर्ति और मांग दोनों पर व्यवधान उत्पन्न हो गया है, इसलिए निकट भविष्य में मोटे तौर पर मंदी की संभावना हो सकती है। कॉर्पोरेट इंडिया भी कोरोना महामारी की चपेट में आ रहा होगा और इसका प्रभाव आने वाली तिमाहियों की आय में दिखाई देगा। तो, निकट भविष्य में बाजार में तेजी की संभावना नहीं दिख रही है।

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2008-2009 की मंदी से सबक यह सीखा गया है कि जब आय में कटौती होती है तो फिक्र की कोई बात नहीं क्योंकि बाजार आगे का रूख अपनाएगा। आपको याद रखना होगा कि शेयर की कीमतों में 30-40 प्रतिशत तक का सुधार हो चुका है। इसलिए, आय की तरफ ध्यान देने का कोई औचित्य कोई नहीं है। जब शेयर की कीमतों में इस तरह के भारी सुधार देखने को मिल रहे हों। महामारी फैलने से पहले भारतीय बाजार का मूल्यांकन बुलंदी पर था। इसलिए, हम निवेशकों को डायनामिक असेट अलोकेशन उत्पादों और डेट योजनाओं का विकल्प चुनने की सलाह दे रहे थे। शेयरों को भुनाने का शायद ही कोई दबाव रहा हो।

हमें लगता है कि भारतीय निवेशक 2008 में देखे गए पिछले संकट के बाद से काफी परिपक्व हुए हैं। हम इस सुधार में खरीदारी कर रहे हैं। सभी क्षेत्रों में काफी सुधार हुआ है और ये फिलहाल 2008 के मूल्यांकन के स्तर से भी कम पर हैं। हमारा मानना है कि यह एक दशक में एक बार के लिए इस तरह के सस्ते मूल्यांकन पर खरीदने का अच्छा अवसर है। अस्थिरता इक्विटी में निवेश का एक हिस्सा है। बाजार में हुआ यह सुधार पिछले कुछ वर्षों में बाजार में प्रवेश किए उन निवेशकों के लिए अपनी तरह का अनुभव का पहला होगा। हालांकि, अगर ये निवेशक वर्तमान दौर की अनिश्चितता में अगर बने रह गए तो हमारा मानना है कि ऐसे निवेशक आने वाले वर्षों में उम्मीद से ज्यादा लाभ कमाने का अवसर प्राप्त करेंगे।

ऐतिहासिक रूप से यह देखा गया है कि जब भी बाजार में सुधार होता है तो वे निवेशक जो उठापटक के दौरान निवेश में बने रहते हैं वो तेजी से लाभान्वित होते हैं। हमारा मानना है कि वर्तमान में ऋण बाजार (डेट मार्केट) अल्प से मध्यम अवधि के नजरिए से अच्छी कीमत पर हैं। निवेशकों को लाभ से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए ऋण अर्थात डेट में निवेश करना चाहिए। रूढ़िवादी या परंपरागत निवेशक कम, लघु और मध्यम अवधि के ऋण उत्पादों में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। उच्च जोखिम क्षमता वाले निवेशक अक्रूअल फंडों में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं क्योंकि अक्रूअल को रेपो सबसे आकर्षक बना रहा है। 

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हाल ही में सुधार के बाद, समूचा मूल्यांकन आकर्षक हो गया है। मेटल, माइनिंग, टेलीकॉम और बिजली के क्षेत्र में अच्छी संभावनाएं हैं जबकि कंज्यूमर, नॉन-ड्यूरेबल्स, ऑटो और बैंकिंग के क्षेत्र में सुधार की गुंजाइश है। बैंकिंग में मूल्यांकन - सार्वजनिक और सार्वजनिक उपक्रम - में काफी सुधार हुआ है। हम कॉर्पोरेट ऋण बैंकों, अच्छी देयता वाले फ्रेंचाइजी और ग्राहक केंद्रित गैर ऋण फ्रेंचाइजी जैसे विषयों पर हमेशा चुनिंदा रूप से सकारात्मक रहे हैं। हमने उन चुनिंदा बैंकों में सुधार किया है जिनके पास अच्छी असेट लाइबिलिटी मैनेजमेंट उच्च कासा और व्यापक वित्तीय सेवाओं की उपस्थिति है। हमें विश्वास है कि एनबीएफसी तंग ऋण बाजार के कारण ऋण वृद्धि में नरमी देखना जारी रखेंगे। लेकिन हम चुनिंदा गोल्ड फाइनेंसरों और इंश्योरेंस पर पॉजिटिव हैं, जिन्हें भारत की लॉन्ग टर्म स्ट्रक्चरल ग्रोथ से फायदा हो सकता है। 

पिछले 12 महीनों से, एसआईपी में औसतन प्रवाह 8,200 करोड़ रुपये से अधिक का रहा है। हमारा मानना है कि यह प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है क्योंकि एसआईपी म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए खुदरा निवेशकों के पसंदीदा मार्ग के रूप में उभर रहा है। ऐतिहासिक रूप से, यह देखा गया है कि कोई भी वैश्विक घटना जिसके कारण बाजार में मंदी आई है, निवेश के आकर्षक अवसर साबित हुए हैं। ऐसे समय में यह महत्वपूर्ण है कि मौजूदा निवेश के साथ बने रहें। वर्तमान बाजार की स्थिति के मद्देनजर निवेशकों को अपने मौजूदा एसआईपी और म्यूचुअल फंड में किए गए अन्य निवेशों को टॉप-अप करना चाहिए क्योंकि अब अपेक्षाकृत कम कीमत पर अधिक इकाइयों को जमा करने का अवसर है। अनिश्चितता बाजार में अस्थिरता पैदा करती है। इसलिए उन उत्पादों में निवेश किया जाए जो बाजार में अस्थिरता से सबसे अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। असेट अलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज फंड का विकल्प चुनें और साथ ही डेट में निवेश की अनदेखी न करें। डेट बाजार भी निवेश के आकर्षक अवसर पेश कर रहे हैं।

-(निमेश शाह, MD एवं CEO ICICI प्रूडेंशियल MF)

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