ऑफ द रिकॉर्ड: इस बार शपथ ग्रहण समारोह दिल्ली या कहीं और

Edited By Pardeep,Updated: 27 Apr, 2019 05:21 AM

this time the swearing in ceremony is in delhi or elsewhere

चुनावी मौसम से दूर आजकल प्रधानमंत्री कार्यालय इस बात की संभावनाओं को तलाश रहा है कि क्या मोदी सरकार का शपथ ग्रहण समारोह दिल्ली से बाहर हो सकता है। यदि सूत्रों की मानें तो उनके अनुसार इस तरह के समारोह के लिए वाराणसी के अलावा हैदाराबाद सबसे उपयुक्त...

नेशनल डेस्क: चुनावी मौसम से दूर आजकल प्रधानमंत्री कार्यालय इस बात की संभावनाओं को तलाश रहा है कि क्या मोदी सरकार का शपथ ग्रहण समारोह दिल्ली से बाहर हो सकता है। यदि सूत्रों की मानें तो उनके अनुसार इस तरह के समारोह के लिए वाराणसी के अलावा हैदाराबाद सबसे उपयुक्त हैं।
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ऐसा माना जा रहा है कि मोदी ने गेंद पी.एम.ओ. के पाले में डाल दी है कि क्या शपथ ग्रहण समारोह दिल्ली के बाहर हो सकता है। दिल्ली से बाहर इस तरह के समारोह पर कोई मनाही तो नहीं है। और अगर है तो यह रिस्ट्रिक्शन संवैधानिक है या नहीं। यद्यपि 2014 में ही मोदी अपना शपथ ग्रहण समारोह वाराणसी में करवाना चाहते थे ताकि यह संदेश दे सकें कि केंद्र की सरकार वास्तव में संघीय है। जहां तक हैदराबाद का सवाल है तो यह शहर राष्ट्रपति का दूसरा घर है और इससे पहले के राष्ट्रपति अपनी छुट्टियां मनाने के लिए यहां आते थे। 
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अगर चुनाव में मोदी स्पष्ट बहुमत के साथ फिर सरकार बनाते हैं तो वह 70 साल बाद ऐसा इतिहास रच सकते हैं।1998 में वाजपेयी राष्ट्रपति भवन के फ्रो कोर्ट में शपथ लेने वाले पहले पी.एम. बने थे। 2014 में भी जब यहीं पर मोदी ने शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया तो इस समारोह में आए सभी विदेश प्रमुखों के साथ-साथ सभी लोग वहां की गर्मी से त्रस्त दिखे। इसके अलावा इस काम के लिए बेंगलूर को भी चुना जा सकता है। पिछली बार मोदी ने शपथ ग्रहण समारोह में सभी सार्क देशों को बुलाकर इतिहास रचा था। 
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