अनुंबध शर्तों का उल्लंघन करने वालों की बढ़ेगी मुसीबत

Edited By Yaspal,Updated: 23 Jul, 2018 08:17 PM

those who violate the terms of the terms will have trouble

संसद में सोमवार को उस विधेयक को मंजूरी मिल गयी, जिसमें व्यावसायिक अनुबंध का उल्लंघन होने की सूरत में एक पक्ष को अन्य पक्ष से क्षतिपूर्ति मांगने तथा ऐसे मामलों में अदालतों के विवेकाधीन अधिकारों को कम करने का प्रावधान है।

नई दिल्लीः संसद में सोमवार को उस विधेयक को मंजूरी मिल गयी, जिसमें व्यावसायिक अनुबंध का उल्लंघन होने की सूरत में एक पक्ष को अन्य पक्ष से क्षतिपूर्ति मांगने तथा ऐसे मामलों में अदालतों के विवेकाधीन अधिकारों को कम करने का प्रावधान है।

विर्निष्ट अनुतोष (संशोधन) विधेयक 2018 को मार्च 2018 में लोकसभा में पारित किया गया था जिसे सोमवार को राज्यसभा ने भी चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक का उद्देश्य ‘कारोबार की सुगमता’ के सरकार के लक्ष्य को हासिल करने के प्रयास के तहत किसी अनुबंध को ठीक से पूरा करने के संबंध में है। कुछ सदस्यों के द्वारा उठाये गये प्रश्नों का जबाव देते हुए विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘आज दुनिया बदल चुकी है। भारत में बदलाव हुए हैं। जब विधेयक को लागू किया गया तब अदालतों द्वारा उन पर रोक लगाने की प्रथा सी बन गई थी। अगर कोई ठेकेदार भाग खड़ा हो, तो आप कुछ नहीं कर सकते थे। आप केवल क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त कर सकते थे।’’

PunjabKesari

पक्षकारों के लिए हो रही थी समस्या
उन्होंने कहा कि अब ऐसे कानून के सख्त प्रावधान भारत सरकार, राज्य सरकारों और निजी पक्षकारों के लिए समस्या खड़ी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह समय की मांग के अनुरूप नहीं थे।’’ मौजूदा कानून के प्रावधान ऐसे मामलों में कुछ निश्चित राहत प्रदान करते हैं। विधेयक का ध्येय आम राहत अथवा क्षतिपूर्ति अथवा मुआवजा देने के बजाय दायित्वों का हूबहू अनुपालन अथवा ठेके का सही तरीके से निपटान हो।

PunjabKesari

विर्निष्ट अनुतोष (संशोधन) विधेयक को उसके अस्तित्व में आने के बाद से उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। मंत्री ने सदन से जानना चाहा कि देश के आधारभूत ढांचा क्षेत्र में अधिक से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होने और आज ऐसे परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) की व्यवस्था काफी प्रचलित होने की स्थिति को देखते हुए ‘‘क्या 1963 के इस कानून को इस प्रक्रिया में बाधा बनने दिया जा सकता है?’’

आधारभूत ढांचे को निरूपित करता है
मंत्री ने कहा कि यह विधेयक आधारभूत ढांचा, रेलवे, शिक्षा, स्वास्थ्य, शीत श्रृंखला गृहों, सुरंगों, शहरी सार्वजनिक परिवहन, खेल, पर्यटन, प्रयोगशालाओं आदि आधारभूत ढांचा क्षेत्रों में भारत की बदलती जरुरतों को निरुपित करता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों से परामर्श करने के बाद कानून में संशोधन किये गये हैं। उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा जारी की जाने वाली अधिसूचना राज्य सरकारों पर भी लागू होंगी।

PunjabKesari

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कानून को कठोर किया गया है क्योंकि हम अनुबंधों के अनुपालन को अधिक कार्योन्मुख और अधिक जबावदेह बनाना चाहते हैं। इस विधेयक में एक विशेष अदालत का भी प्रावधान किया गया है क्योंकि अगर आधारभूत ढांचा को महत्व देनी है तो विवादों का त्वरित निपटान करना इसकी पूर्वशर्त बन जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श कर विशेष अदालत की स्थापना कर सकती है और हर जिले में एक अदालत स्थापित कर सकती है।

इससे पूर्व विधेयक पर हुई चर्चा में सपा के सुरेन्द्र सिंह नागर, अन्नद्रमुक के ए नवनीत कृष्णन, जद-यू के हरिवंश, वाईएसआरसीपी के विजयसाई रेड्डी, आप के सुशील कुमार गुप्ता, कांग्रेस के प्रदीप भट्टाचार्य, विप्लव ठाकुर, तृणमूल के सुखेन्दु शेखर राय ने अपने विचार रखे।

 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!