हामिद की वापसी में भारत-पाक के 3 लोगों ने निभाई अहम भूमिका, पाक वकील ने फ्री में लड़ा केस

Edited By Tanuja,Updated: 19 Dec, 2018 11:44 AM

three indo pak people play lead roll in hamid ansari return

पश्तून लड़की के प्रेम में पाकिस्तानी जेल में पहुंचे हामिद नेहल अंसाली 6 साल बाद मंगलवार शाम  पंजाब के वाघा बार्डर के रास्ते वतन वापस लौट आया है। हामिद की वापसी  दोनों देशों की जेलों में सजा काट रहे उन लोगों के लिए भी एक उम्मीद व विश्वास है जिन्हें...

इंटरनैशनल डैस्कः पश्तून लड़की के प्रेम में पाकिस्तानी जेल में पहुंचे हामिद नेहल अंसाली 6 साल बाद मंगलवार शाम  पंजाब के वाघा बार्डर के रास्ते वतन वापस लौट आया है। हामिद की वापसी  दोनों देशों की जेलों में सजा काट रहे उन लोगों के लिए भी एक उम्मीद व विश्वास है जिन्हें हामिद की तरह अपने वतन की मिट्टी को चूमने का मौका मिलेगा। हामिद की वापसी के में भारत व पाक के कई लोगों का सहयोग रहा लेकिन तीन सबसे अहम लोगों ने इसमें बहुत खास भूमिका निभाई। इनमें दो पाकिस्तानी हैं और एक हिंदुस्तानी शामिल हैं। दरअसल हामिद नेहाल अंसारी  पाकिस्तान की एक पश्तून लड़की के चक्कर में पाकिस्तान जाने की कोशिशों में जुट गया था। मुंबई के वर्सोवा के रहने वाले हामिद ने पाकिस्तान के वीजा के लिए पत्रकार जतिन देसाई से मुलाकात की। जतिन ही हामिद की कहानी के पहले हीरो हैं। जतिन देसाई ही थे जिन्होंने हामिद के मां-पिता की लड़ाई को दोनों देशों के अमनपसंद नागरिकों की साझा लड़ाई बना दिया। 
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हामिद ने  बात न मामने का भुगता खमियाजा
देसाई लंबे समय से भारत और पाकिस्तान के बीच अमन के पैगाम के लिए काम कर रहे हैं। देसाई पाकिस्तान-इंजिया पीपल्स फोरम फॉर पीस ऐंड डेमोक्रेसी (पीआईपीएफपीडी) महासचिव हैं और और उन्होंने प्रेस क्लब ऑफ मुंबई और कराची प्रेस क्लब के बीच संबंध स्थापित कर शांति वार्ता शुरू की थी। पत्रकार देसाई ने मीडिया को बताया कि पाकिस्तान जाने से 6 महीने पहले हामिद उनसे मिले थे। देसाई के मुताबिक जब हामिद ने उन्हें बताया कि वह उस हॉरर किलिंग के लिए कुख्यात इलाके खैबर पख्तूनख्वा की एक लड़की से शादी करना चाहता है तो वह हंस पड़े। उन्होंने हामिद को यह बेवकूफी छोड़ करियर पर फोकस करने की सलाह दी थी।  


कैप्शनः हामिद के मां-पिता और जतिन देसाई  ।
इश्क के आगे लाचार हो चुके हामिद ने देसाई को मनाने की कोशिश जारी रखी। एक सुबह देसाई को अखबार से पता चला कि हामिद गायब है और वह समझ गए कि लड़का गलत तरीके से पाकिस्तान पहुंच चुका है। जब उन्हें इस बात का अहसास हो गया कि अब हामिद को वापस लाना नामुमकिन हो सकता है तो उन्होंने उसके परिवार से संपर्क साधा। देसाई ने हामिद की रिहाई के लिए पाकिस्तान के अपने संपर्कों को ऐक्टिव किया। 

 


कैप्शनः रख्शंदा नाज, (मध्य) हामिद अंसारी तथा ( दाएं )काजी मोहम्मद अनवर ।

इन पाकिस्तानी लोगों ने निभाई खास भूमिका 
इस मोड़ पर हामिद की पाक के 2 लोगों और रख्शंदा नाज और दूसरे काजी मोहम्मद अनवर मदद की। दोनों ही पाकिस्तान के ह्यूमन राइट वकील हैं। हामिद का मामला जब इनके सामने पहुंचा को वह काफी बिगड़ चुका था। दरअसल 12 दिसंबर 2015 को पाकिस्तान की एक मिलिटरी अदालत ने हामिद को जासूसी और पाकिस्तान विरोधी गतिविधियों का दोषी ठहरा दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रख्शंदा नाज और काजी मोहम्मद अनवर को पहली नजर में ही यकीन हो गया कि हामिद निर्दोष है। इसके बाद दोनों ने हामिद के परिवार से बिना एक पैसा लिए इस केस को अपने स्तर पर लड़ा। एक तरफ काजी मोहम्मद अनवर लगातार इस केस में भिड़े रहे और कोर्ट को समझाते रहे कि हामिद जासूस नहीं है। वहीं रख्शंदा नाज ने कोर्ट के इतर एक मां की तरह हामिद का ख्याल रखा। वह अक्सर जेल में हामिद से मिलने जातीं तो उनके लिए खाने का सामान ले जातीं। 
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पाकिस्तान में इन दोनों के अलावा सिविल राइट ऐक्टिविस्टों और अन्य जर्नलिस्टों ने भी काफी मदद की। इनमें एक नाम जर्नलिस्ट जीनत शहजादी का भी रहा। हामिद की मां फौजिया ने अपने बेटे की रिहाई के लिए जीनत से संपर्क साधा था। बाद में जीनत पेशावर जेल में बंद हामिद के केस पर काम करने के दौरान खुद गायब हो गईं थीं। 2 साल बाद जीनत को ढूंढने में कामयाबी मिली थी। बाद में बताया कि जीनत को अगवा कर लिया गया था। 

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