Edited By shukdev,Updated: 27 Nov, 2019 08:41 PM
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्थ चटर्जी ने बुधवार को संविधान लागू होने के 70 साल बाद भी राज्यपाल पद के रहने के औचित्य पर सवाल उठाया। चटर्जी का बयान पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच मंगलवार को विधानसभा में...
कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्थ चटर्जी ने बुधवार को संविधान लागू होने के 70 साल बाद भी राज्यपाल पद के रहने के औचित्य पर सवाल उठाया। चटर्जी का बयान पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच मंगलवार को विधानसभा में संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में नए सिरे से शुरू जुबानी जंग के बाद आया है। पश्चिम बंगाल के संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल के पद का पहले महत्व था और अचरज होता है कि संविधान को लागू करने के 70 साल बाद भी क्या इसका औचित्य है।
चटर्जी संविधान दिवस पर आयोजित दो दिवसीय विशेष विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सदन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, लोकतंत्र का अभिप्राय कुछ भी करने का अधिकार नहीं है बल्कि संविधान में मौलिक कर्तव्य भी निहित है। तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पद की जिम्मेदारी भी संभाल रहे चटर्जी ने कहा कि यह निजी लड़ाई नहीं है बल्कि अधिकारों और संस्थाओं के कर्तव्यों का मामला है। उन्होंने कहा कि राजभवन, राज्यपाल के कार्यालय और आवास पर होने वाला खर्च गत तीन साल में दोगुनी हो गई है।
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को विधानसभा में मंच साझा किया था लेकिन दोनों ने एक दूसरे का अभिवादन नहीं किया और अपने-अपने भाषणों में एक दूसरे पर हमला किया।