पश्चिम बंगाल: बैरकपुर में अपनों ने मुश्किल की टीएमसी सांसद की राह

Edited By vasudha,Updated: 11 Apr, 2019 11:26 AM

tmc mp face difficulties in barrackpore seat

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के अंर्तगत आने वाली बैरकपुर लोकसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस के मौजूदा सांसद और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी लगातार तीसरी बार जीत के इरादे से उतरे हैं...

नेशनल डेस्क: पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के अंर्तगत आने वाली बैरकपुर लोकसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस के मौजूदा सांसद और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी लगातार तीसरी बार जीत के इरादे से उतरे हैं। हालांकि इस बार उनका मुकाबला माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की उम्मीदवार गार्गी चटर्जी के अलावा एक समय तक उनके बेहद करीबी रहे अर्जुन सिंह से भी है जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी हैं। 

अर्जुन सिंह ने ममता का साथ छोड़ थामा भगवा का झंडा 
अर्जुन सिंह लंबे समय तक तृणमूल कांग्रेस के कर्मठ सिपाही और दिनेश त्रिवेदी के खास रहे हैं लेकिन इस चुनावी मौसम में उन्होंने ममता से हाथ झटककर भगवा झंडे का दामन थाम लिया है। वर्ष 2009 औऱ 2014 में त्रिवेदी के लिए इसी सीट से चुनाव प्रचार का जिम्मा संभालने वाले और उनकी जीत में अहम योगदान देने वाले अर्जुन सिंह इस बार उन्हीं के सामने दीवार बनकर खड़े हो गए हैं और चुनाव में दो-दो हाथ कर रहे हैं। इस सीट पर 1951 से लेकर 1996 तक के चुनावों में मुख्य मुकाबला कांग्रेस औऱ माकपा के बीच ही रहा है लेकिन 1998 में तृणमूल कांग्रेस के गठन के बाद यहां लड़ाई माकपा और तृणमूल में रही जिसमें 2004 तक माकपा के उम्मीदवार को सफलता मिली। दिनेश त्रिवेदी ने 2009 में यहां जीत कर तृणमूल खाता खोला।  

जनता ने माकपा पर किया भरोसा 
देश में आपातकाल के बाद 1977 के चुनावों में चली सत्ता विरोधी लहर में जहां कांग्रेस देश के ज्यादात्तर इलाकों में अपनी सीट बचाने में नाकाम रही थी वहीं बैरकपुर सीट पर 26 साल के बाद कांग्रेस के उम्मीदवार सौगत रॉय ने जीत हासिल की थी। रॉय ने माकपा के उम्मीदवार इस्माइल को हराया था। वर्ष 1980 में कांग्रेस ने देवी घोषाल को उम्मीदवार बनाया लेकिन बैरकपुर की जनता ने माकपा के प्रत्याशी इस्माइल पर भरोसा किया और उन्हें फिर अपना सांसद चुना। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में सहानुभूति लहर का फायदा उठाते हुए कांग्रेस ने फिर देवी घोषाल को चुनावी मैदान में खड़ा किया और उन्होंने माकपा के उम्मीदवार मोहम्मद अमीन को बड़े अंतर से पराजित कर दिया। इसके बाद 1989 के चुनावों में माकपा के तरित बारन तोपदार ने कांग्रेस के उम्मीदवार को हराकर इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। तोपदार 1989 के बाद 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 तक लगातार छह बार यहां से चुनाव जीतने में सफल रहे।  

2009 में त्रिवेदी का कद हुआ ऊंचा
तृणमूल कांग्रेस ने 2009 में माकपा के कद्दावर नेता और वर्षों से लगातार सांसद रहे तोपदार के सामने त्रिवेदी को उतार कर लोगों को अचंभित कर दिया था लेकिन जनता में परिवर्तन की चाह थी और उसने वाम का अभेद किला बन चुकी इस सीट पर त्रिवेदी को जिता दिया। त्रिवेदी ने तोपदार को 56,024 वोटों के अंतर से पराजित किया था। त्रिवेदी के यहां से जीतने के बाद पार्टी में उनका कद कितना ऊंचा हो चुका था इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि ममता बनर्जी के 2011 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनने के बाद त्रिवेदी ने उनकी जगह मनमोहन सिंह सरकार में रेल मंत्री का पदभार संभाला था। वर्ष 2014 में तृणमूल ने त्रिवेदी को दूसरी बार उम्मीदवार बनाया और उन्होंने माकपा की उम्मीदवार सुभाषिनी अली को 2,06,773 मतों के बड़े अंतर से हराया था। 

इस सीट पर छह मई को होगा चुनाव 
त्रिवेदी को 2014 में 4,79,206 वोट प्राप्त हुए थे जबकि सुश्री अली को 2,72,433 मत मिले थे। मोदी लहर पर सवार भाजपा के प्रत्याशी रुमेश कुमार हांडा 2,30,401 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। अर्जुन सिंह के मैदान में उतरने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। एक तरफ त्रिवेदी के पास उन्हीं के विश्वास पात्र रहे अर्जुन सिंह को पछाड़कर यहां से हैट्रिक लगाने की चुनौती है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा अर्जुन सिंह के सहारे इस सीट पर जीत का स्वाद चखने की कोशिश में है जबकि माकपा अपनी पुरानी जमीन को वापस पाने के लिये मैदान में है। बैरकपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत अमडांगा, बीजपुर, नैहाटी, भाटपाड़ा, जागदल, नोआपाड़ा और बैरकपुर विधानसभा की सीटें आती हैं। इस सीट पर चुनाव पांचवें चरण में छह मई को होगा। 

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