SC में 5 साल बाद दोहराया जाएगा इतिहास, आज सिर्फ महिला बेंच करेगी सुनवाई

Edited By vasudha,Updated: 05 Sep, 2018 12:55 PM

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उच्चतम न्यायालय में आज एकबार फिर से इतिहास दोहराया जाएगा जब न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पूरी तरह महिला न्यायाधीशों वाली पीठ किसी मामले पर सुनवाई करेगी...

नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय में आज एकबार फिर से इतिहास दोहराया जाएगा जब न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पूरी तरह महिला न्यायाधीशों वाली पीठ किसी मामले पर सुनवाई करेगी।  शीर्ष अदालत में पहली बार 2013 में पूरी तरह महिलाओं वाली पीठ देखने को मिली थी। उस समय एक मामले पर सुनवाई के लिये न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ बैठी थी। 
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उच्चतम न्यायालय में तीन महिला न्यायाधीश
अगस्त में न्यायमूर्ति बनर्जी को शपथ दिलाए जाने के साथ ही उच्चतम न्यायालय के इतिहास में पहली बार तीन महिला न्यायाधीश हैं। स्वतंत्रता के बाद से शीर्ष अदालत में वह आठवीं महिला न्यायाधीश हैं। तीन वर्तमान महिला न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति भानुमति सर्वाधिक वरिष्ठ हैं। उन्हें 13 अगस्त 2014 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति फातिमा बीवी शीर्ष अदालत में नियुक्त होने वाली पहली महिला न्यायाधीश थीं। उनके बाद सुजाता मनोहर, रूमा पाल, ज्ञान सुधा मिश्रा, रंजना प्रकाश देसाई, आर भानुमति, इंदु मल्होत्रा और फिर हाल में इंदिरा बनर्जी उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त हुईं। 

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1989 में न्यायमूर्ति बीवी बनी न्यायाधीश 
न्यायमूर्ति बीवी, न्यायमूर्ति मनोहर और न्यायमूर्ति पाल उच्चतम न्यायालय में अपने समूचे कार्यकाल के दौरान एकमात्र महिला न्यायाधीश रहीं। 2011 में न्यायमूर्ति देसाई को उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत किये जाने के बाद शीर्ष अदालत में दो महिला न्यायाधीश देखने को मिलीं। न्यायमूर्ति बीवी को 1989 में उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उच्चतम न्यायालय के 1950 में गठन के 39 वर्षों के बाद किसी महिला को शीर्ष अदालत का न्यायाधीश बनाया गया। केरल उच्च न्यायालय के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें शीर्ष अदालत में नियुक्त किया गया था। 

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न्यायमूर्ति पाल का रहा लंबा सफर 
न्यायमूर्ति मनोहर ने बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से अपने करियर की शुरूआत की थी। वह बाद में केरल उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश बनीं। इसके बाद उन्हें उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया, जहां उनका कार्यकाल आठ नवंबर 1994 से 27 अगस्त 1999 तक रहा। न्यायमूर्ति मनोहर के सेवानिवृत्त होने के लगभग पांच महीने बाद न्यायमूर्ति पाल को नियुक्त किया गया। वह उच्चतम न्यायालय में सर्वाधिक समय तक कार्य करने वाली महिला न्यायाधीश बनीं। उनका कार्यकाल 28 जनवरी 2000 से दो जून 2006 तक रहा।  उनकी सेवानिवृत्ति के चार साल बाद किसी महिला को शीर्ष अदालत का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 

न्यायमूर्ति भानुमति 2020 को होंगी सेवानिवृत्त 
न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा को झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद से उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत किया गया। उच्चतम न्यायालय में उनका कार्यकाल 30 अप्रैल 2010 से 27 अप्रैल 2014 तक रहा।  उनके कार्यकाल के दौरान ही न्यायमूर्ति देसाई की भी उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति हुई। उनका कार्यकाल 13 सितंबर 2011 से 29 अक्तूबर 2014 के बीच रहा। न्यायमूर्ति देसाई के 29 अक्तूबर 2014 को सेवानिवृत्त होने के बाद न्यायमूर्ति भानुमति इस साल 27 अप्रैल को न्यायमूर्ति मल्होत्रा की नियुक्ति तक उच्चतम न्यायालय में एकमात्र महिला न्यायाधीश रह गईं। न्यायमूर्ति भानुमति 19 जुलाई 2020 को सेवानिवृत्त होंगी।      
 

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