MannKiBaat में बोले PM मोदी- पुलवामा हमले पर मन भारी, व्यर्थ नहीं जाएगी वीरों की शहादत

Edited By Seema Sharma,Updated: 24 Feb, 2019 01:34 PM

pm modi in mann ki baat did mention of pulwama attack

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वे पुलवामा आतंकवादी हमले में जवानों की शहादत से देश के नागरिकों में उत्पन्न जज्बे और भावनाओं को जानने, समझने और जीवन में उतारने का प्रयास करें।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वे पुलवामा आतंकवादी हमले में जवानों की शहादत से देश के नागरिकों में उत्पन्न जज्बे और भावनाओं को जानने, समझने और जीवन में उतारने का प्रयास करें। मोदी ने आकाशवाणी पर 53वें ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि पुलवामा के आतंकवादी हमले में वीर जवानों की शहादत के बाद देश-भर में लोगों के मन में आघात और आक्रोश है। उन्होंने कहा कि वीर सैनिकों की शहादत के बाद, उनके परिजनों की जो प्रेरणादायी बातें सामने आई हैं उसने पूरे देश के हौंसले को और बल दिया है।
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मन की बात के Highlights

  • बिहार के भागलपुर के शहीद रतन ठाकुर के पिता रामनिरंजन जी ने, दु:ख की इस घड़ी में भी जिस काज्बे का परिचय दिया है, वह हम सबको प्रेरित करता है।’’
  • झारखंड के विजय सोरेन की शहादत और उनके मासूम बेटे के जज्बे का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘जब तिरंगे में लिपटे शहीद विजय सोरेन का शव झारखण्ड के गुमला पहुंचा तो मासूम बेटे ने यही कहा कि मैं भी फौका में जाऊंगा। इस मासूम का जज्बा आज भारतवर्ष के बच्चे-बच्चे की भावना को व्यक्त करता है। ऐसी ही भावनाएं हमारे वीर, पराक्रमी शहीदों के घर-घर में देखने को मिल रही हैं।’’
  • हमारा एक भी वीर शहीद इसमें अपवाद नहीं है, उनका परिवार अपवाद नहीं है। चाहे वह देवरिया के शहीद विजय मौर्य का परिवार हो, कांगड़ा के शहीद तिलकराज के माता-पिता हों या फिर कोटा के शहीद हेमराज का छ: साल का बेटा हो-शहीदों के हर परिवार की कहानी, प्रेरणा से भरी हुई है।
  • देशभक्ति क्या होती है, त्याग-तपस्या क्या होती है- उसके लिए हमें इतिहास की पुरानी घटनाओं की ओर जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
  • राष्ट्रीय सैनिक स्मारक का देशवासियों को आजादी के बाद से ही इतंजार रहा है और अब यह बनकर तैयार है तथा सोमवार को इसे देश के बहादुर सैन्य बलों को समर्पित कर दिया जाएगा।
  • देश में अब तक सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों का कोई स्मारक नहीं था और इसी को देखते हुए उन्होंने इसके निर्माण का संकल्प लिया और यह स्मारक बनकर तैयार है।

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  • देश के हर नागरिक को इस तीर्थस्थल पर जाकर राष्ट्र की सेवा के लिए अपना बलिदान करने वाले महान सपूतों को नमन करना चाहिए।
  • यह राष्ट्रीय सैनिक स्मारक देश के लिए कुर्बानी देने वाले महान बलिदानियों के लिए राष्ट्र की तरफ से एक मामूली और विनम्र नमन है। यह वीर सैनिकों के अदम्य साहस का प्रतीक है। इसमें भारत माता के महान सपूत के जन्म से लेकर शहीद होने तक की कहानी को चार भागों में पेश किया गया है।
  • स्मारक में हर शहीद की स्मृतियों को चार चक्र में अंकित किया गया है। उनके महान बलिदान पर इस स्मारक में उनके परिचय को अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र, रक्षक चक्र के रूप में दिखाया गया हैं।
  • राष्ट्रीय सैनिक स्मारक का डिजाइन, हमारे अमर सैनिकों के अदम्य साहस को प्रदर्शित करता है।’’ इससे पहले पिछले वर्ष अक्टूबर में उन्होंने राष्ट्रीय पुलिस स्मारक देश को समर्पित किया था और वह भी उनके उस विचार को प्रतिबिंबित करता है जिसके तहत वह मानते हैं कि देश को उन पुरुष, महिला पुलिसकर्मियों के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए जो अनवरत राष्ट्र की सुरक्षा में जुटे रहते हैं।
  • लोगों से इन दोनों स्मारकों पर जाएं और वहां जाने के बाद अपनी तस्वीरों को सोशल मीडिया पर डालें ताकि दूसरें लोग इससे प्रेरित होकर इन स्मारकों में अपने महान बलिदानी देशभक्तों को देखने के लिए उत्सुक हों।

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