दिल्ली पुलिस की जांबाज महिला अधिकारी, जो किसानों के सामने डटी रहीं...थाम दिए ट्रैक्टरों के पहिए

Edited By Seema Sharma,Updated: 28 Jan, 2021 04:03 PM

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किसानों के पत्थर और लाठियां खाने के बाद भी पुलिस शांत रही और किसानों को हिंसा न करने की अपील करती रही। पुलिस ने जो जज्बा दिखाया वो सच में काबिले तारीफ है। वहीं दिल्ली पुलिस की महिलाकर्मी भी इस संघर्ष से पीछे नहीं हटीं और मोर्चे पर डटी रहीं। गाजीपुर...

नेशनल डेस्क: गणतंत्र दिवस पर दिलली में किसानों की ट्रैक्टर परेड में जमकर हिंसा हुई। इस दौरान पुलिस ने किसानों को समझाया लेकिन हिंसा पर उतरे किसानों ने सुरक्षाकर्मियों पर ही हमला कर दिया। किसानों के हमले से 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। दिल्ली पुलिस के संयम की देश में काफी तारीफ हो रही है। किसानों के पत्थर और लाठियां खाने के बाद भी पुलिस शांत रही और किसानों को हिंसा न करने की अपील करती रही। पुलिस ने जो जज्बा दिखाया वो सच में काबिले तारीफ है। वहीं दिल्ली पुलिस की महिलाकर्मी भी इस संघर्ष से पीछे नहीं हटीं और मोर्चे पर डटी रहीं।

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गाजीपुर बॉर्डर के पास रूट तोड़कर किसानों का ट्रैक्टर मार्च जैसे ही अक्षरधाम की ओर बढ़ा तो वहां तैनात महिलाकर्मियों ने भीड़ को रोक दिया। किसान बैरिकेड तोड़कर अक्षरधाम की तरफ घुसने की कोशिश कर रहे थे तभी मोर्चे पर तैनात ATO इंस्पेक्टर पुष्पलता, सब-इंस्पेक्टर सुमन प्रदर्शनकारियों के सामने खड़ी हो गईं और भीड़ को रोका। जब किसान ट्रैक्टर लेकर जबरदस्ती अक्षरधाम में घुसने की कोशिश कर रहे थे तब भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत खुद वहां मौजूद थे। तभी दोनों बहादुर महिलाकर्मी  ट्रैक्टर के बोनट पर लटक गई जब तक राकेश टिकैत वहां से वापिस नहीं लौट गए।

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बहादुरी से किया प्रदर्शनकारी किसानों का सामना
किसान हंगामा करते हुए गाजीपुर बॉर्डर से अक्षरधाम की तरफ मुड़ गए। किसानो ने ट्रैक्टर से पहले एक बैरिकेड को तोड़ा, जैसे वो दूसरे बैरिकेड की तरफ बढ़े तभी इंस्पेक्टर पुष्पलता और सब-इंस्पेक्टर सुमन ने भीड़ को वहां से हटाया और ट्रैक्टर के बोनट पर लटक गईं। महिलापुलिस कर्मियों ने कहा कि यहां का मोर्चा वे संभाल रही हैं और किसी को भी आगे बढ़ने नहीं देंगी, सभी शांति से लौट जाएं। किसानों और महिलापुलिसकर्मियों में काफी बहस हुई। तभी राकेश टिकैत भी आगे आ गए। जब इंस्पेक्टर पुष्पलता और सब-इंस्पेक्टर सुमन ट्रैक्टर के बोनस से उतरने को तैयार नहीं हुईं तो किसानों को अपने ट्रैक्टरों को वहां से लौटाना पड़ा।

 

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मंडावली एसएचओ पुष्पलता ने कहा कि जो शरीर पर वर्दी पहनी हो वहीं हमें दलेर भी बनाती है। हमारा मकसद प्रदर्शनकारियों को रोकने का था और संयम बनाए रखना भी था। उस वक्त हमे यह चिंता या डर नहीं था कि हमें चोट लग जाएगी या कुछ हो जाएगा। इंस्पेक्टर पुष्पलता ने बताया कि राकेश टिकैत ने उन पर वहां से हटने का दवाब बनाया लेकिन हमने उनकी भी एक नहीं सुनी। इसके बाद किसान वहां से चले गए।
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