Alert: 1 फरवरी से महंगा हो सकता है ट्रेन का सफर, 20 फीसदी तक बढ़ सकता है किराया

Edited By Yaspal,Updated: 10 Dec, 2019 06:36 PM

train travel can be expensive from february 1 fare may increase by 20 percent

रेल से यात्रा करने वाले यात्रियों को बड़ा झटका लगने वाला है। दरअसल, भारतीय रेल जल्द ही यात्री किराए में बढ़ोतरी कर सकता है। रेलवे बोर्ड को इसके लिए मंजूरी मिल चुकी है। इसके लिए रेल अधिकारियों के बीच मंथन शुरू हो चुका है। सूत्रों के मुताबिक,

बिजनेस डेस्कः रेल से यात्रा करने वाले यात्रियों को बड़ा झटका लगने वाला है। दरअसल, भारतीय रेल जल्द ही यात्री किराए में बढ़ोतरी कर सकता है। रेलवे बोर्ड को इसके लिए मंजूरी मिल चुकी है। इसके लिए रेल अधिकारियों के बीच मंथन शुरू हो चुका है। सूत्रों के मुताबिक, रेलवे सबअर्बन ट्रेनों से लेकर मेल/एक्सप्रेस के हर क्लास में किराए में बढ़ोतरी करने जा रहा है। यह बढ़ोतरी 5 पैसे/किमी से 40 पैसे प्रति किमी तक हो सकती है। इस तरह से रेलवे के हर क्लास के किराए में 15 से 20 फीसदी तक इजाफा हो जाएगा।
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इस बढ़े हुए किराये का ऐलान दिसंबर के अंत तक होने की संभावना है जबकि बढ़ा किराया 1 फरवरी 2020 से लागू हो सकता है। रेलवे ने पिछली बार साल 2014 में उस वक़्त नई सरकार बनने के बाद किराये में करीब 15 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। मौजूदा समय में रेलवे में लागत से औसतन 43 फीसदी कम किराया वसूला जाता है।
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हाल ही में आई कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारतीय रेल पिछले 10 सालों के सबसे बुरे दौर में पहुंच गई है। इस बात का खुलासा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग)  की रिपोर्ट से हुआ है। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रेलवे की कमाई बीते दस सालों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है। रेलवे का परिचालन अनुपात वित्त वर्ष साल 2017-18 में 98.44 फीसदी तक पहुंच चुका है।
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अगर कैग के इस आंकडे़ को आसान भाषा में समझें तो  रेलवे 98 रुपये 44 पैसे लगाकर सिर्फ 100 रुपये की कमाई कर रही है। यानी कि रेलवे को सिर्फ एक रुपये 56 पैसे का मुनाफा हो रहा है जो व्यापारिक नजरिए से सबसे बुरी स्थिति है। इसका सीधा अर्थ यह है कि अपने तमाम संसाधनों से रेलवे 2 फीसदी पैसे भी नहीं कमा पा रही है। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक घाटे का मुख्य कारण उच्च वृद्धि दर है। रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2017-18 के वित्तीय वर्ष में 7.63 फीसदी संचालन व्यय की तुलना में उच्च वृद्धि दर 10.29 फीसदी था।
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रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेल का परिचालन अनुपात वित्त वर्ष 2017-18 में 98.44 प्रतिशत रहने का मुख्य कारण संचालन व्यय में उच्च वृद्धि है। इसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2008..09 में रेलवे का परिचालन अनुपात 90.48 प्रतिशत था जो 2009..10 में 95.28 प्रतिशत, 2010..11 में 94.59 प्रतिशत, 2011..12 में 94.85 प्रतिशत, 2012..13 में 90.19 प्रतिशत, 2013..14 में 93.6 प्रतिशत, 2014..15 में 91.25 प्रतिशत, 2015..16 में 90.49 प्रतिशत, 2016..17 में 96.5 प्रतिशत तथा 2017..18 में 98.44 प्रतिशत दर्ज किया गया ।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेल का कुल व्यय 2016..17 में 2,68,759.62 करोड़ रूपये से 2017..18 में बढ़कर 2,79,249.50 करोड़ रूपये हो गया। जबकि पूंजीगत व्यय 5.82 प्रतिशत से घटा है और वर्ष के दौरान राजस्व व्यय में 10.47 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसमें कहा गया है कि कर्मचारी लागत, पेंशन भुगतानों और रोलिंग स्टाक पर पट्टा किराया के प्रतिबद्ध व्यय 2017..18 में कुल संचालन व्यय का लगभग 71 प्रतिशत था।

कैग ने रेलवे की खराब हालत के लिए बीते दो सालों में आईबीआर-आईएफ के तहत जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल नहीं होना भी बताया है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि रेलवे को बाजार से मिले फंड का पूरी तरह इस्तेमाल सुनिश्चित करना चाहिए। कैग ने रेलवे के राजस्व को बढाने के उपाय भी सुझाए हैं। कैग की तरफ से कहा गया है कि सकल और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता को कम किया जाना चाहिए इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के दौरान रेल के पूंजीगत व्यय में कटौती की भी सिफारिश भी की गई है।

 

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