बॉर्डर पर सैनिकों की मदद करते हैं प्रशिक्षित कुत्ते, आतंकियों व घुसपैठ पर कड़ी नजर

Edited By Seema Sharma,Updated: 30 Dec, 2019 03:18 PM

trained dogs help soldiers at the border

उत्तर कश्मीर में बिछी बर्फ की मोटी चादर के बीच ‘डबल कोट’ जर्मन शैफर्ड कुत्ते ‘बुजो’ का नायकों जैसा स्वागत हुआ। ‘बुजो’ ने हाल में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पी.ओ.के.) से घुसपैठ के एक प्रयास को नाकाम कर दिया। सेना का मूक प्रहरी ‘बुजो’ उन 150 से...

श्रीनगर/दिल्ली: उत्तर कश्मीर में बिछी बर्फ की मोटी चादर के बीच ‘डबल कोट’ जर्मन शैफर्ड कुत्ते ‘बुजो’ का नायकों जैसा स्वागत हुआ। ‘बुजो’ ने हाल में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पी.ओ.के.) से घुसपैठ के एक प्रयास को नाकाम कर दिया। सेना का मूक प्रहरी ‘बुजो’ उन 150 से ज्यादा प्रशिक्षित कुत्तों में शामिल है जो सेना के साथ मिलकर नियंत्रण रेखा और अंदरूनी इलाकों में पैनी निगाह रखते हैं। ऐसे कुत्तों को 3 श्रेणियों में प्रशिक्षित किया जाता है। उन्हें हमलावर (जो दुश्मन पर हमला करते हैं), ट्रैकर (जो दुश्मन की आवाजाही का पता लगाते हैं) और विस्फोट का पता लगाने वाले (खोजी) श्रेणी में प्रशिक्षित किया जाता है।

 

उत्तर कश्मीर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में नियंत्रण रेखा पर तैनात कुत्ते आम तौर पर ‘डबल कोट जर्मन शैफर्ड’ नस्ल के होते हैं जो ऐसे मौसम के लिए सबसे उपयुक्त हैं, जबकि लैब्राडोर प्रजाति के कुत्तों को अंदरूनी इलाके में लगाया जाता है। कुत्तों को संभालने वालों का मानना है कि अक्लमंदी और बहादुरी में ये कुत्ते उत्तम दर्जे के होते हैं। सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ का पता लगाने में, मादक पदार्थों की तस्करी और यहां तक कि संभावित हिमस्खलन का भी पता लगाने में वे मदद देते हैं।

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