आईएसआईएस के प्रभाव से जर्मनी भी मुक्त नहीं

Edited By ,Updated: 13 May, 2016 01:05 PM

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यूरोप का जर्मनी देश भी आईएसआईएस के प्रभाव सेमुक्त नहीं है। वहां के लोगों में भी इसमें शामिल होने का आकर्षण देखा गया है। इनमें

यूरोप का जर्मनी देश भी आईएसआईएस के प्रभाव से मुक्त नहीं है। वहां के लोगों में भी इसमें शामिल होने का आकर्षण देखा गया है। इनमें विशेष रूप से लड़कियों में जबरदस्त क्रेज है। हाल में वहां एक गुरुद्वारे में विस्फोट और इसी मंगलवार को दक्षिण जर्मनी के म्यूनिख में एक व्यक्ति ने ट्रेन स्टेशन पर चाकू मारने करने की घटना के बाद खुफिया एजेंसी अत्यधिक सतर्क हो गई है। इस हमले में एक शख्स की मौत हो गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। हमले के दौरान यह व्यक्ति 'अल्लाह-हु-अकबर' के नारे लगा रहा था। फिलहाल पुलिस ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। आतंकी संगठन आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई में शामिल जर्मनी में अभी तक कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ जबकि उसके पड़ोसी फ्रांस और बेल्जियम में हमले हो चुके हैं।

पिछले साल खबर आई थी जर्मनी की कई लड़कियां आईएसआईएस को पसंद करती हैं। इसकी पुष्टि वहां की खुफिया एजेंसी बीएफवी ने की थी। इसके प्रमुख हैंस जॉर्ज मास्सेन ने स्वीकार किया कि कई युवतियां इस आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए यहां  से सीरिया और इराक गई हैं। इनमें अधिकतर लड़कियों की उम्र 25 साल से कम है। वे इंटरनेट के माध्यम से आईएसआईएस के झांसे में फंस गई है। एक अनुमान के अनुसार जर्मनी में इस आतंकी संगठन के समर्थकों की संख्या लगभग 7500 है। वहां से जितने युवा आईएसआईएस मे भर्ती हुए थे,उनमें से करीब 100 की मौत हो चुकी है। जर्मनी की खुफिया एजेंसी का मानना है कि यहां से गए लोगों में से एक तिहाई वापस स्वदेश लौट आए हैं। इनमें से 50 लोग युद्ध में भाग ले चुके हैं। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल भी स्वीकार कर चुकी हैं कि उनके देश के करीब 400 लोग आईएसआईएस में शामिल होने गए।

अप्रैल महीने में जर्मनी के एस्सेन शहर के एक गुरुद्वारे में हुए विस्फोट के बारे में आशंका जताई गई थी कि इससे आतंकवादी संगठन आईएसआईएस का संबंध हो सकता है। इस संदेह को समीप के शहर जेलसेनकिर्चेन से दो किशारों की गिरफ्तारी के बाद मजबूती मिली। एआरडी टीवी नेटवर्क ने बताया था कि पुलिस ने इन दोनों में एक की पहचान आईएसआईएस से सहानुभूति रखने वाले युसूफ टी नामक व्यक्ति के रूप में की है। वह उत्तरी राइन वेस्टफालिया के रूर क्षेत्र में इस्लामिक परिवेश के कार्यकर्ता के रूप में काम करता हैं। युसूफ इस्लाम के कट्टरपंथी पंथ सलाफिस्ट द्वारा जर्मनभाषी क्षेत्र में आयोजित कुरान वितरण अभियान में शामिल रहा है। नेटवर्क के अनुसार युसूफ का दिनस्लाकेन शहर में कट्टरपंथी इस्लामवादियों के गठबंधन ‘लोहबर्गर ब्रिगेड’ से भी संबंध है। आईएसआईएस से जुड़ने के लिए सीरिया की यात्रा कर चुके ज्यादातर जर्मन इस्लामवादियों का एलआईएईएस से घनिष्ठ संबंध था। यह संगठन कुरान वितरण अभियान चलाता है। पता चला कि युसूफ आईएसआईएस के विचारों के प्रचार प्रसार के लिए अपने फेसबुक प्रोफाइल का इस्तेमाल करता था। 

अप्रैल में ही खबर आई थी कि जर्मनी के खुफिया विभााग की रिपोर्ट ने खुलासा किया कि जर्मन फौज के 20 पूर्व सैनिक आईएसआईएस के सीरिया और इराक में काम कर रहे रेडिकल ग्रुप में शामिल हो गए हैं। ये सैनिक 2007 में उग्रवाद की ओर झुकाव होने के कारण सेना से अलग हो गए थे। जर्मनी खुफिया विभाग 320 से अधिक सैनिकों पर निगाह रखे हुए था। महजबी आस्था के कारण इनकी गतिविधियां संदिग्ध बनी हुई थीं। यह पहला अवसर था जब खुफिया विभाग ने स्वीकार किया था कि पूर्व सैनिक आतंकी संगठन में शामिल हुए हैं।

यूरोप के अन्य देशों की तरह जर्मनी भी अपने नागरिकों में मिडिल ईस्ट के इस आतंकी संगठन की ओर बढ़ रहे आकर्षण से चिंतित था। इसके बाद संभावित आतंकी हमले का सामना करने के लिए पश्चिमी देशों ने अपनी सीमाओं और हवाई अड्डों पर सुरक्षा प्रबंध कड़े कर दिए। आइर्दएसआईएस के कट्टरपंथी समू​ह ने अमरीका द्वारा उनके खिलाफ बनाए गए गठबंधन के बाद पश्चिमी देशों में हमला करने की धमकी दी थी। इनमें जर्मनी के बर्लिन जैसे शहर भी शामिल थे। अमरीकी अधिकारियों के मु​ताबिक आईएसआईएस में कई विदेशी लड़ाकू धड़ाधड़ शामिल हो रहे हैं। यूरोप के कई देश इसके पायलटों के निशाने पर हैं।    

वर्ष 2014 में जैसे ही अमरीकी गठबंधन के देशों की सेनाओं के आईएसआईएस के महत्वपूर्ण ठिकानों और वित्तीय संसाधनों पर हवाई हमले शुरू हुए,उसके बाद पश्चिमी देशों के लड़ाकुओं की संख्या में तेजी से गिरावट आने लगी। ये आतंकी अमरीका, आॅस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन से गए थे।

 

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