Edited By Seema Sharma,Updated: 10 Aug, 2018 04:03 PM
तीन तलाक से संबंधित विधेयक पर सरकार और विपक्ष के बीच सहमति न बन पाने के कारण इसे आज राज्यसभा में चर्चा के लिए पेश नहीं किया गया और इस तरह यह विधेयक फिर लटक गया। संसद के मानसून सत्र का आज आखिरी दिन था और सरकार इस विधेयक को कुछ संशोधनों
नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): तीन तलाक से संबंधित विधेयक पर सरकार और विपक्ष के बीच सहमति न बन पाने के कारण इसे आज राज्यसभा में चर्चा के लिए पेश नहीं किया गया और इस तरह यह विधेयक फिर लटक गया। संसद के मानसून सत्र का आज आखिरी दिन था और सरकार इस विधेयक को कुछ संशोधनों के साथ आज ही सदन में पेश करना चाहती थी। विधेयक सदन की आज की कार्य सूची में भी शामिल था। सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन में गैर-सरकारी कामकाज के दौरान सदस्यों को सूचित किया कि सरकार और विपक्ष के बीच सहमति न बन पाने के कारण विधेयक को आज चर्चा के लिए पेश नहीं किया जाएगा।
मुस्लिम समुदाय की विवाहित महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 को लोकसभा ने पारित कर दिया था और इसे गत जनवरी में राज्यसभा में पेश किया गया था लेकिन विपक्ष की आपत्तियों को देखते हुए सरकार ने इसे चर्चा और पारित कराने के लिए आगे नहीं बढ़ाया था। राज्यसभा में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का बहुमत नहीं है, इसलिए विधेयक पारित कराने के लिए विपक्ष का समर्थन जरूरी है। विपक्ष की आपत्तियों को देखते हुये मंत्रिमंडल ने इस विधेयक में गुरुवार को तीन संशोधनों को मंजूरी दी थी और सरकार चाहती थी कि इसे आज राज्यसभा में चर्चा और पारित कराने के लिए रखा जाए।
क्या हैं तीन बदलाव
- 1) अब सिर्फ पीड़िता या रिश्तेदार ही एफआईआर दर्ज करा सकते हैं।
- 2) समझौता होने पर केस वापिस लेने का प्रावधान है।
- 3) आरोपी को जमानत सिर्फ मेजिस्ट्रेट ही दे सकता है। पुलिस से जमानत नहीं मिल सकती है।
तीस साल पहले राजीव गांधी सरकार ने तुष्टिकरण की राजनीति करते हुए मुस्लिम महिलाओं को भत्ता दिलाने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। 23 अप्रैल 1985 को सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आदेश दिया था कि आईपीसी की धारा 125 जो तलाकशुदा महिला को पति से भत्ते का हकदार बनाता है, मुस्लिम महिलाओं पर भी लागू होता है। आज भी मुस्लिम महिलाओं की स्थिति वही है जो तीस साल पहले थी। फ़र्क़ सिर्फ इतना आया है की पहले शाहबानो थी अब सायरा बानो है।उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली सायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर ट्रिपल तलाक और निकाह हलाला के चलन की संवैधानिकता को चुनौती दी थी।
शाह ने बुलाई बैठक
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने तीन तलाक बिल पर रणनीति को लेकर संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार के दफ्तर में एक बैठक बुलाई है जिसमें शाह, अनंत कुमार के अलावा राजनाथ सिंह, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, मुख़्तार अब्बास नकवी, विजय गोयल, अर्जुन मेघवाल मौजूद हैं।
ट्रिपल तलाक़ पर शायरा बानो की कानूनी लड़ाई
- 10 अक्टूबर 2015: शायरा बानो को उनके पति ने चिठ्ठी से तलाक दिया।
- 23 फरवरी 2016: शायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए याचिका दायर की।
- 22 अगस्त 2017: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए ट्रिपल तलाक़ बिल को असवैंधानिक घोषित कर दिया।
पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से देश को सम्बोधित करते हुए कहा कि तीन-तलाक के खिलाफ लडाई वाली मुस्लिम माताओं और बहनो के साथ पूरा हिन्दुस्तान खड़ा है। ट्रिपल तलाक़ के कानून बनने से जहां एक तरफ मुस्लिम महिलाएं खुश है, वहीं मुस्लिम बोर्ड इसका विरोध कर रहा है। अब देखना होगा कि क्या विपक्ष मुस्लिम महिलाओं के साथ खड़ा होगा या नहीं ?