ट्रिपल तलाक पर बवाल जारी, नाराज मुस्लिम बोर्ड की माेदी सरकार काे विराेध की धमकी

Edited By ,Updated: 13 Oct, 2016 04:00 PM

triple talaq boycott law commission questionnaire

आल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड समेत नौ संगठनों ने समान नागरिक संहिता के प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए शरीया कानूनों को ही जारी रखने की वकालत की है

नई दिल्ली: आल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड समेत नौ संगठनों ने समान नागरिक संहिता के प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए शरीया कानूनों को ही जारी रखने की वकालत की है और कहा है कि वे इस संबंध में विधि आयोग की प्रश्नावली का जवाब नहीं देंगे। ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना मोहम्मद वली रहमानी के नेतृत्व में आज यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में इन सभी संगठनों के प्रतिनिधियों ने पत्रकारों के सामने अपना आक्रोश जाहिर किया। 

जवाब देने से किया इंकार
पर्सनल लॉ बोर्ड के रहमानी का कहना है कि हम लोग विधि आयोग द्वारा तैयार की गई प्रश्नावली को खारिज करते हैं और हम इसका कोई जवाब नहीं देंगे। इतना ही नहीं हमने मुस्लिम समुदाय से यह भी अपील की है कि वे विधि आयोग की इस प्रश्नावली का बहिष्कार करें। उन्होंने कहा कि विधि आयोग की इस प्रश्नावली का वास्तविक मकसद मुस्लिम पर्सनल लॉ को समाप्त करना है और यह प्रश्नावली लोगों को भ्रमित करने के लिए तैयार की गई है। 

संविधान के अनुच्छेद 44 का उल्लेख
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 का उल्लेख कर समान नागरिक संहिता को संवैधानिक दर्जा देने की कोशिश की गई है, जो नीति निर्देशक तत्वों के खिलाफ है और इसे लागू नहीं किया जा सकता है। संविधान के मौलिक अधिकार के अनुच्छेद 25 के तहत हर व्यक्ति को अपने मन पसंद धर्म को चुनने, उसका प्रचार करने और उसे अपनाने का अधिकार है। समय-समय पर अदालतों ने भी अपने फैसलों में कहा है कि व्यक्ति का मौलिक अधिकार सर्वोच्च है। अगर केंद्र सरकार नीति निर्देशक तत्व को लागू करने के लिए वाकई गंभीर है तो उसे सबको शिक्षा देने, सबको स्वास्थ्य सुविधाएं देने और नशाबंदी को लागू करना चाहिए, जो सीधे जनता की बेहतरी के लिए हैं। 

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