Edited By vasudha,Updated: 02 Mar, 2020 12:20 PM
ड्राईविंग लाइसेंस बनवाना हो या बिजली का कनेक्शन लेना हो या फिर अपने घर का निवास प्रमाण पत्र हो बिना घूस के तो यह काम होते ही नहीं। कई बार लोग अपने काम को जल्द से जल्द पूरा करवाने के लिए भी रिश्वत का सहारा लेते हैं। इतना ही नहीं सड़कों पर भी रिश्वत...
बिजनेस डेस्क: ड्राईविंग लाइसेंस बनवाना हो या बिजली का कनेक्शन लेना हो या फिर अपने घर का निवास प्रमाण पत्र हो बिना घूस के तो यह काम होते ही नहीं। कई बार लोग अपने काम को जल्द से जल्द पूरा करवाने के लिए भी रिश्वत का सहारा लेते हैं। इतना ही नहीं सड़कों पर भी रिश्वत का खेल खुलेआम चल रहा है, जिसका खुलासा सेव लाइफ फाउंडेशन (एसएलएफ) की ओर से जारी एक रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार ट्रक ड्राइवर और उनके मालिक हर साल पुलिसवालों को 48 हजार करोड़ (रोजाना 132 करोड़ रुपये) बतौर घूस चुकानी पड़ती है।
दरअसल सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ 'सेव लाइफ फाउंडेशन' ने देश के 10 बड़े परिवहन व ट्रांजिट केंद्रों पर अध्ययन किया। इस दौरान 1217 ट्रक ड्राइवरों और 110 ऐसे ट्रक मालिकों से बात की गई, जिनके पास कई वाहन हैं। सर्वे में 82 फीसदी ट्रक ड्राइवरों ने माना कि अपनी पिछली यात्रा में उन्होंने सड़क पर किसी न किसी अधिकारी को रिश्वत दी है। यहां तक कि पूजा समितियों जैसे स्थानीय समूह भी घूस लेकर उनके ट्रक निकलने देते हैं। इस तरह से हर चक्कर में ट्रक डाइवरों को औसत 1257 रुपये चुकाने होते हैं।
- चालकों से हर साल सर्वाधिक 22 हजार करोड़ रुपए घूस स्थानीय पुलिस लेती है।
- दूसरे स्थान पर क्षेत्रीय परिवहन कार्यायल (आरटीओ) के अधिकारी आते हैं, जो सालाना 19500 हजार करोड़ रुपये रिश्वत लेते हैं।
- धर्मिक आयोजनों जैसे जागरण, मेला व भवनों के निर्माण आदि के नाम पर भी चालकों से 5900 हजार करोड़ रुपये वसूले जाते हैं।
- गुवाहाटी में 97.5 फीसदी ड्राइवरों ने ट्रैफिक पुलिस या अधिकारी को रिश्वत देने की बात स्वीकारी।
- इसके बाद चेन्नई (89) फीसदी और दिल्ली (84.4) प्रतिशत का नंबर आता है।
- 44 फीसदी डाइवरों ने माना है कि आरटीओ भी उनसे घूस लेते हैं। खूसखोरी में सबसे ज्यादा आरटीओ बंगलुरू के आगे हैं।
रिपोर्ट की मानें तो 22 फीसदी ड्राइवर रात में जागकर ट्रक चलाने के लिए कई प्रकार के नशीले पदार्थ का सेवन करते हैं। इसमें डोड शामिल है, जिससे ड्राइवर 12 से 14 घंटे लगातार ट्रक चला सकता है। 77 फीसदी ट्रक ड्राइवर तमाम बीमारियों से ग्रस्त हैं। ट्रकों की टक्कर के कारण 23 हजार से अधिक जानें जाती हैं, इसमें 15 हजार ड्राइवर भी शामिल हैं।