देशी शिक्षा पर बढ़ रहा भरोसा, विदेशी कैंपस अब भारत में ही दे रहे अवसर

Edited By Mahima,Updated: 12 Aug, 2024 03:34 PM

trust in indigenous education is increasing

हाल के महीनों में, भारतीय छात्रों के विदेश में अध्ययन करने की प्रवृत्ति में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है। विशेष रूप से, विदेशी शिक्षा की चाह रखने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है, जबकि देश में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध होने के कारण...

नेशनल डेस्क: हाल के महीनों में, भारतीय छात्रों के विदेश में अध्ययन करने की प्रवृत्ति में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है। विशेष रूप से, विदेशी शिक्षा की चाह रखने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है, जबकि देश में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध होने के कारण छात्रों की प्राथमिकता अब अपने देश में रहकर अध्ययन करने की ओर बढ़ रही है।

विदेश में अध्ययन की बदलती प्राथमिकताएं
रीजनल पासपोर्ट कार्यालय भोपाल द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च में वीजा और पासपोर्ट के लिए किए गए आवेदनों में 60 प्रतिशत छात्र विदेश में अध्ययन के इच्छुक थे। लेकिन जुलाई के बाद से, इस आंकड़े में उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिला है। कनाडा, बांग्लादेश और यूक्रेन जैसे देशों में हो रही राजनीतिक अशांति और युद्ध की स्थिति के कारण छात्रों ने विदेश में अध्ययन के विचार को स्थगित कर दिया है।

विदेश जाकर पढ़ने वालों के आंकड़ों में दिखी गिरावट
2022 के मुकाबले 2023 में विदेश में अध्ययन करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 45 प्रतिशत बढ़ी थी। लेकिन 2024 में यह संख्या 1.28 प्रतिशत घट गई है। आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 9,07,404 छात्र विदेश में पढ़ाई कर रहे थे, जो 2023 में बढ़कर 13,18,955 हो गए। हालांकि, 2024 में यह संख्या घटकर 13,35,878 हो गई है।
विदेशी शिक्षा मामलों के विशेषज्ञ अंकुर पाल के अनुसार, कई कारणों से विदेशी शिक्षा के प्रति छात्रों का आकर्षण कम हुआ है। विरोध प्रदर्शन, हिंसा, राजनीतिक अशांति, कड़ी वीजा नीतियाँ और आर्थिक मंदी जैसे कारकों ने अभिभावकों को अपने बच्चों को विदेश भेजने से रोक दिया है।

कोनसे देश माने जाते थे पसंदीदा ?
विदेश में पढ़ाई करने के लिए पारंपरिक पसंदीदा देश जैसे जर्मनी, किर्गिस्तान, आयरलैंड, सिंगापुर, रूस, फ्रांस, यूएस, कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपीन्स और न्यूजीलैंड शामिल हैं। हालांकि, रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद बांग्लादेश जैसे देशों में भी अशांति बढ़ गई है, जिससे वहां के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने की प्रवृत्ति कम हो गई है। शिक्षा विशेषज्ञ स्तन देशमुख के अनुसार, विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस अब भारतीय शहरों जैसे भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में खुल रहे हैं। इसके अलावा, कई निजी विश्वविद्यालय भी नवीनतम कार्यक्रम पेश कर रहे हैं, जिससे भारतीय छात्रों के लिए विदेश में अध्ययन की जरूरत कम हो गई है।

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