जैश कैंप पर भारतीय हमले के बाद वायरल सैटेलाइट तस्वीरों का SHOCKING सच आया सामने

Edited By Tanuja,Updated: 11 Mar, 2019 11:30 AM

truth behind viral satelite pics of balakot air strike

इन दिनों भारतीय वायु सेना के हमले में ध्वस्त हुए आंतकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के कैंप'' की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। इन तस्वीरों को लेकर मोदी सरकार के मंत्री गिरीराज सिंह ने जैश के ध्वस्त कैंप की वीडियो शेयर करते अपने ट्वीट में लिखा था...

इंटरनैशनल डेस्कः इन दिनों भारतीय वायु सेना के हमले में ध्वस्त हुए आंतकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के कैंप' की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। इन तस्वीरों को लेकर मोदी सरकार के मंत्री गिरीराज सिंह ने जैश के ध्वस्त कैंप की वीडियो शेयर करते अपने ट्वीट में लिखा था, "ये तस्वीरें साफ़-साफ़ बता रही हैं कि भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तानी आतंकी ट्रेनिंग कैंप के परखच्चे उड़ा दिए"। इस वीडियो में दो सैटेलाइट तस्वीरें दिखाई गई हैं जिनमें से एक तस्वीर हमले से पहले (23 फ़रवरी) की बताई गई, जबकि दूसरी तस्वीर को हमले के बाद (26 फ़रवरी) का बताया गया है।
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हज़ारों लोग सोशल मीडिया पर उनकी इस वायरल वीडियो को शेयर कर चुके हैं जबकि असंख्य ऐसे लोग हैं जिन्होंने शेयर चैट, व्हॉट्सऐप, ट्विटर और फ़ेसबुक पर इन सैटेलाइट तस्वीरों को 'भारतीय हमले में जैश के कैंप में हुए नुक़सान' के सबूत के तौर पर पेश किया है। लेकिन ये दो सैटेलाइट तस्वीरें रॉयटर्स द्वारा बुधवार को जारी की गईं उन तस्वीरों से भी मेल नहीं खातीं, जिन्हें भारतीय मीडिया ने एक बार फिर एयरस्ट्राइक में हुई क्षति को दिखाने के लिए इस्तेमाल किया है। रिवर्स इमेज सर्च से कुछ ऐसे फ़ेसबुक और ट्विटर यूज़र्स तक पहुँचे जिन्होंने इन सैटेलाइट तस्वीरों के 'लाइव कोऑर्डिनेट्स' भी शेयर किए हैं यानी ये बताया है कि नक्शे पर ये जगह कहाँ स्थित है।
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गूगल मैप्स पर जब इसे खोजा तो पता चला कि ये न्यू बालाकोट के पास बसे जाबा में स्थित किसी इमारत की सैटेलाइट तस्वीर है। भारतीय वायु सेना के हमले के बाद कुछ भारतीय इंटरनेट यूज़र्स ने इस इमारत को नये नाम देने की कोशिश की है। फ़िलहाल इस लोकेशन पर 'जैश मदरसा' और 'जैश ट्रेनिंग स्कूल' भी लिखा हुआ दिखाई दे रहा है। गिरीराज सिंह के ट्वीट में जो वीडियो दिख रहा है, उसमें टीवी चैनल ने दावा किया है कि गूगल मैप पर दिख रही हमले से पहले की सैटेलाइट तस्वीर 23 फ़रवरी की है और दूसरी तस्वीर हमले के बाद की है. लेकिन ये दोनों ही दावे गड़बड़ हैं।
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पड़ताल में पाया गया है कि दूसरी तस्वीर 'ज़ूम अर्थ' नाम की वेबसाइट से ली गई है जो कि नासा और माइक्रोसॉफ़्ट के बिंग मैप्स की मदद से सैटेलाइट तस्वीरें दिखाती है। इस वेबसाइट के संस्थापक हैं पॉल नीव जो लंदन में रहते हैं। पॉल ने बताया, "जो तस्वीर सोशल मीडिया पर हवाई हमले के बाद ध्वस्त हुई बिल्डिंग की बताई जा रही है, वो एक पुरानी तस्वीर है। " पॉल ने साफ़ कहा, "सिर्फ़ नासा ही रोज़ाना नई तस्वीरें अपडेट करता है। बिंग मैप्स की तस्वीरें रोज़ अपडेट नहीं होतीं। ऐसा करना मुश्किल काम है क्योंकि सभी सैटेलाइट तस्वीरें अपडेट करने में सालों का वक़्त लगता है"। लेकिन ये वायरल तस्वीर कितनी पुरानी होगी? इसके जवाब में पॉल ने कहा, "मैं इतना कह सकता हूँ कि ये कुछ दिन या महीनों नहीं, बल्कि वर्षों पुरानी तस्वीर होगी।
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उनके ख्याल से इस सैटेलाइट तस्वीर में दिख रही इमारत निर्माणाधीन है"। 'ज़ूम अर्थ' वेबसाइट के संस्थापक पॉल नीव ने सार्वजनिक तौर पर एक ट्वीट करके भी ये दावा किया है कि इन तस्वीरों का एयरस्ट्राइक से कोई लेना-देना नहीं है। पहली तस्वीर गूगल मैप्स से ली गई एक सैटेलाइट तस्वीर है। ये पाकिस्तान के जाबा में स्थित उसी जगह की है लेकिन इमारत के हालात को देखकर लगता है कि ये थोड़ी हालिया तस्वीर है। टीवी चैनल ने दावा किया था कि ये सैटेलाइट तस्वीर एयरस्ट्राइक से पहले (23 फ़रवरी) की है। लेकिन इस दावे पर कई सोशल मीडिया यूज़र अब ये सवाल उठा रहे हैं कि अगर ये तस्वीर 23 फ़रवरी की है, तो उसके बाद गूगल मैप पर इस इमारत की दशा क्यों नहीं बदली?

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