ताइवान राष्ट्रपति त्साई की भारत में लोकप्रियता से चीन को हुई जलन, सोशल मीडिया ने और लगाई आग

Edited By Tanuja,Updated: 18 Oct, 2020 03:21 PM

tsai ing wen emerges as the most popular foreign leader in india

भारत-चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव अपने चरम पर है । इस बीच चीन के ताइवान के साथ संबंध तेजी से बिगड़ रहे हैं। ऐसे में ताइवान का भारत की तरफ झुकाव बढ़ा है

इंटरनेशनल डेस्कः भारत-चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव अपने चरम पर है । इस बीच चीन के ताइवान के साथ संबंध तेजी से बिगड़ रहे हैं। ऐसे में ताइवान का भारत की तरफ झुकाव बढ़ा है। ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन की भारत में लोकप्रियता एक आंख नहीं रास आ रही है । सोशल मीडिया ने चीन की इस जलन को और भड़काने का काम किया है। सोशल मीडिया पर ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन के भारत के प्रति गहरे प्रेम की खबरों से चीन जलभुन गया और दोनों देशों को धमकी देने पर उतर आया है।

 

दरअसल ताइवान की राष्ट्रपति ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर बताया कि उन्हें भारतीय खाना और चाय और यहां की जीवंतता से भरी जिंदगी बहुत पसंद है।  ताइवान की राष्ट्रपति को भारतीय व्यंजन कितने पंसद हैं और इसमें भी कौन सा व्यंजन उनका सबसे पसंदीदा है जिसे खाने के लिए वे अक्सर भारतीय रेस्टोरेंट का रुख करती हैं।  ताइवान की राष्ट्रपति त्साई ने सोशल मीडिया ट्विटर पर कहा, "ताइवान भाग्यशाली है कि यहां पर कई भारतीय रेस्त्रां हैं और ताइवान की जनता उन्हें प्यार करती है। मैं खुद हमेशा चना मसाला और नान खाने के लिए जाती हूं। जबकि चाय मुझे हमेशा मेरी भारत यात्रा के दिनों और जीवंत, विविध और रंगों से भरे देश की याद दिलाती है।

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चीन का भारत-ताइवान के प्रति गुस्सा तब और बढ़ गया जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ताइवान के राष्ट्रपति द्वारा जन्मदिन की बधाई दी गई । ताइवान राष्ट्रीय दिवस ने चीन के गु्स्से को चरम पर पहुंचा दिया। चीन ने भारतीय और ताइवानी ट्विटर उपयोगकर्ताओं के बीच एकजुटता में बाधा बनने की कोशिश भी की लेकिन इससे ताइवान समर्थक अभियान और अधिक भड़क गया। बता दें कि भारतीय राजनेता तजिंदर पाल बग्गा ने 7 अक्टूबर को नई दिल्ली के चाणक्यपुरी में चीनी दूतावास के बाहर एक पोस्टर प्रदर्शित किया जिसमें ताइवान के राष्ट्रीय दिवस पर ताइवान के नागरिकों को शुभकामनाएं दी गई ।

 

इसके बाद नई दिल्ली में चीनी दूतावास के बाहर प्रदर्शित पोस्टर की एक तस्वीर को साझा करते हुए, ताइवान के उपराष्ट्रपति ने ट्विटर पर अपनी खुशी को बयां करते हुए ट्वीट किया - “हमारे झंडे को ऊंची उड़ान भरते हुए देखना और दुनिया भर में पहचाना जाना हमारी इच्छा है। हम इतने सारे देशों के लोगों को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने आज बधाई और समर्थन व्यक्त किया। खासकर हमारे भारतीय मित्र का। नमस्ते! #TaiwanNationalDay #MilkTeaAlliance। ”

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प्रमुख अंग्रेजी समाचार चैनल WION  के अलावा कई टीवी और ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर इस समाचार को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया।   कई चैनलों ने ताइवान राष्ट्रीय दिवस पर एक विशेष कार्यक्रम भी प्रसारित किया। इसके अलावा  दो प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों इंडियन एक्सप्रेस और द स्टेट्समैन ने राष्ट्रीय दिवस की कामना करते हुए पूरे पृष्ठ के विज्ञापन दिए। इसी प्रकार, एक अन्य प्रमुख समाचार प्रसारणकर्ता ने ताइवान के राष्ट्रीय दिवस से ठीक पहले ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू के साथ एक साक्षात्कार भी प्रसारित किया।

 

जैसे ही साक्षात्कार का प्रसारण किया गया नई दिल्ली में चीनी दूतावास में प्रेस काउंसलर जी रॉन्ग ने एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया  कि "तथाकथित ताइवान के विदेश मंत्री" का साक्षात्कार और ताइवान डीपीपी प्राधिकरण अलगाववादी गतिविधियों के लिए मंच का उपयोग करते हुए । यहीं नहीं भारत में चीनी दूतावास ने 7 अक्टूबर की रात एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मीडिया हाउस और पत्रकारों से कहा कि वे ताइवान के नेशनलडे पर कवरेज के लिए समय या स्थान प्रदान करने से परहेज करें।

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क्या है चीन ताइवान विवाद की वजह ? 
दरअसल चीन और ताइवान यानि 'पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना' और 'रिपब्लिक ऑफ़ चाइना' एक-दूसरे की संप्रभुता को मान्यता नहीं देते। दोनों खुद को आधिकारिक चीन मानते हुए मेनलैंड चाइना और ताइवान द्वीप का आधिकारिक प्रतिनिधि होने का दावा करते रहे हैं। चीन और ताइवान के बीच रिश्तों की कोई दूसरी मिसाल दुनिया में मौजूद नहीं है। दोनों ही देशों के नागरिकों की संस्कृति, भाषा और इतिहास एक है लेकिन दो अलग-अलग राजनीतिक व्यवस्थाओं की वजह से सत्तर साल पहले हुए अलगाव को एकजुटता में बदलना मुश्किल रहा है।

 

जिसे हम चीन कहते हैं उसका आधिकारिक नाम है 'पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना' और जिसे ताइवान के नाम से जानते हैं, उसका अपना आधिकारिक नाम है 'रिपब्लिक ऑफ़ चाइना।' हालांकि ताइवान ने अपने नेशनल डे से ठीक पहले अपने पासपोर्ट से 'रिपब्लिक ऑफ़ चाइना' शब्दों को हटा दिया है। व्यावहारिक तौर पर ताइवान ऐसा द्वीप है जो 1950 से ही स्वतंत्र रहा है मगर चीन इसे अपना विद्रोही राज्य मानता है। एक ओर जहां ताइवान ख़ुद को स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र मानता है, वहीं चीन का मानना है कि ताइवान को चीन में शामिल होना चाहिए और फिर इसके लिए चाहे बल प्रयोग ही क्यों न करना पड़े।  

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