उम्मीद की किरणः कोरोना से बचने में मददगार साबित हो रही टीबी की ये वैक्सीन !

Edited By Tanuja,Updated: 11 Jul, 2020 01:48 PM

tuberculosis vaccine may reduce covid 19 death rate

कोरोना वायरस महामारी का आंतक पूरी दुनिया झेल रही है। इस वायरस को लेकर लोग खौफ में हैं कारण है अब तक ...

इंटरनेशनल डेस्कः कोरोना वायरस महामारी का आंतक पूरी दुनिया झेल रही है। इस वायरस को लेकर लोग खौफ में हैं कारण है अब तक इसका उपचार न मिलना। हालांकि विश्व के कई देशों के वैज्ञानिक इसकी दवा खोजने में लगे हैं और अमेरिका, ब्रिटेन व भारत सहित कई देशों में इसकीवैक्सीन का ट्रायल अंतिम चरण में पहुंच चुका है। इस बीच कोरोना महासंकट से उबरने के लिए एक  उम्मीद की किरण नजर आ रही ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सदियों पुरानी दवा BCG । एक स्टडी में पाया गया है कि अमेरिका जैसे विकसित देश के स्टेट्स के मुकाबले लैटिन अमेरिका और दूसरे विकासशील देशों में मृत्युदर कम होने के पीछे एक कारण टीबी की वैक्सीन हो सकती है।

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वर्जिनिया टेक के कॉलेज ऑफ नैचरल रिसोर्सेज ऐंड एन्वायरन्मेंट में असिस्टेंट प्रफेसर लुइस एस्कोबार ने इस बात पर रिसर्च की कि कुछ विकासशील देशों में अमेरिका के स्टेट्स के कम मृत्युदर कैसे हैं, जबकि वहां आबादी ज्यादा भी है और घनी भी। स्टडी में पाया गया कि जिन देशों में कोविड-19 की वजह से मृत्युदर कम है, वहां लोगों की उम्र, आय और हेल्थ केयर सुविधाओं को लेकर भारी विविधता थी। हालांकि, इन सब में एक चीज समान थी- टीबी का वैक्सिनेशन प्रोग्राम। टीबी की दवा बेसिलस कैलमेट-ग्यूरिन (BCG) को आमतौर पर अमेरिका में इस्तेमाल नहीं किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह बीमारी विकासशील देशों में ही ज्यादा होती है। स्टडी में पाया गया कि BCG वैक्सीन प्रोग्राम और कोरोना  के कारण मृत्युदर में आपस में गहरा संबंध है। रिसर्चर्स का कहना है कि BCG इंडेक्स में 10% बढ़ोतरी के साथ कोविड-19 की मृत्युदर 10.4% कम हो जाती है।

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BCG  वैक्सीन लगभग 100 साल पहले तैयार की गई थी। इससे ट्यूबरकुलोसिस या टीबी (तपेदिक) के बैक्टीरिया के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा होती है। इसके टीके से लोगों इम्यून सिस्टम बेहतर होता है और खुद को कई संक्रमणों से बचाया जा सकता है। वैक्सिनेशन के 60 साल के बाद तक अधिकतर लोगों में टीबी का बैक्टीरिया नहीं प्रवेश कर सका। यह टीका कई अन्य संक्रामक रोगों के खिलाफ भी मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है, जैसा कोरोना के केस में माना जा रहा है। स्पेन में कोरोना वायरस के कारण 16 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। स्पेन इटली, फ्रांस और अमेरिका के साथ उन देशों की लिस्ट  में है जहां बीसीजी वैक्सीन का टीका नहीं लगाया जाता है। इन देशों के आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो पाएंगे कि अमेरिका में कोरोना के कारण सबसे ज्यादा करीब 20,000 लोगों की मौत हो चुकी है।

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दूसरे नंबर पर इटली है जहां 18 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। वहीं, फ्रांस में स्पेन के बाद सबसे ज्यादा 13,197 मौतें हो चुकी हैं। दूसरी ओर, स्पेन के पड़ोसी देश पुर्तगाल को देखें तो यहां अब तक कोरोना के चलते 470 लोगों की मौत हुई है। यहां कुल 15,987 लोग कोरोना की चपेट में आए हैं। पुर्तगाल और स्पेन के बीच के बॉर्डर को पहले ही सील कर दिया गया था लेकिन यहां कम मौतों के पीछे एक बड़ा कारण बीसीजी वैक्सीन ही है। भारत में भी बीसीजी के टीके नवजातों को लगाए जाते रहे हैं। खास बात यह है कि अप्रैल में WHO ने साफ कहा था कि BCG वैक्सीन के कोविड-19 से लोगों को बचाने का कोई सबूत नहीं है क्योंकि इस पर ज्यादातर रिसर्च में लोग समाज में अंतर, टेस्टिंग, महामारी के स्तर जैसे कई मानकों का ध्यान नहीं रखते हैं। हालांकि, एस्कोबार का कहना है कि उनकी टीम ने सभी सामाजिक अंतरों को ध्यान में रखते हुए अनैलेसिस किया है।
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