Edited By Pardeep,Updated: 13 Dec, 2024 06:09 AM
संविधान को अंगीकार किए जाने के 75 साल पूरा होने के मौके पर लोकसभा में शुक्रवार को दो दिवसीय चर्चा शुरू होगी। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को लोकसभा में संविधान पर दो दिवसीय बहस का जवाब देंगे।
नई दिल्लीः संविधान को अंगीकार किए जाने के 75 साल पूरा होने के मौके पर लोकसभा में शुक्रवार को दो दिवसीय चर्चा शुरू होगी। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को लोकसभा में संविधान पर दो दिवसीय बहस का जवाब देंगे। सरकारी सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लोकसभा में संविधान पर चर्चा की शुरुआत करेंगे, जबकि राज्यसभा में इसी तरह की चर्चा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा शुरू किए जाने की संभावना है।
लोकसभा के सूचीबद्ध एजेंडे के अनुसार, ‘‘भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा'' होगी। चर्चा प्रश्नकाल के बाद शुरू होगी। दो दिवसीय चर्चा से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने रणनीति बनाने संबंधी एक बैठक की, जिसमें शाह और सिंह के अलावा भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा भी शामिल हुए। इससे पहले शाह ने संसद भवन स्थित अपने कार्यालय में नड्डा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू सहित भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ एक बैठक की। कांग्रेस के संसदीय रणनीतिक समूह ने भी संसद के शीतकालीन सत्र और संविधान पर चर्चा को लेकर बातचीत की। संसद का शीतकालीन सत्र संभवत: 20 दिसंबर को समाप्त होगा।
विपक्ष की ओर से राहुल गांधी द्वारा विपक्ष के नेता के रूप में लोकसभा में संविधान पर चर्चा शुरू किए जाने की संभावना थी लेकिन कुछ नेताओं ने रणनीति में बदलाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा विपक्षी खेमे के लिए बहस की शुरुआत कर सकती हैं जो लोकसभा में उनका पहला भाषण होगा। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे राज्यसभा में विपक्ष की ओर से बहस की शुरुआत करेंगे।
कांग्रेस ने लोकसभा में संविधान पर प्रस्तावित चर्चा के मद्देनजर बृहस्पतिवार को सदन के अपने सदस्यों को व्हिप जारी कर कहा कि वे सदन में दोनों दिन उपस्थित रहें। लोकसभा में 13 एवं 14 दिसंबर और राज्यसभा में 16 व 17 दिसंबर को संविधान पर चर्चा के लिए सरकार ने सहमति जताई है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्षी दलों ने संविधान सभा द्वारा संविधान को अंगीकार किए जाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर दोनों सदनों में चर्चा की मांग की थी। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इस पर सहमति बनने के बाद संसद का गतिरोध टूटा था।