Edited By rajesh kumar,Updated: 07 Feb, 2021 01:14 PM
कृषि कानून के विरोध में गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में जमकर हिंसा हुई। सुरक्षा के लिए तैनात किए गए पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट कर उन्हें जख्मी किया गया। दिल्ली में हुई हिंसा के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने बड़ा फैसला लिया...
नेशनल डेस्क: कृषि कानून के विरोध में गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में जमकर हिंसा हुई। सुरक्षा के लिए तैनात किए गए पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट कर उन्हें जख्मी किया गया। दिल्ली में हुई हिंसा के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने बड़ा फैसला लिया है। अब संयुक्त किसान मोर्चा भी रैली के दौरान रुट बदलने वाले दो संगठनों को निलंबित कर दिया है। यहीं नहीं दोनों किसान संगठनों के खिलाफ जांच कमेटी भी बनाई गई है।
जांच कि लिए कमेटी गठित
जांच कि लिए गठित की गई इस बात की जानकारी जुटाएगी कि रैली में शामिल दोनों संगठनों के पदाधिकारी जानबूझ कर रूट बदला था या फिर भटककर दूसरे रूट पर गए थे। इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का कहना है कि भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कैसे मोर्च के साथ बिना बातचीत किए आंदोलन की रणनीति को बदला और यूपी व उत्तराखंड में चक्काजाम क्यों नहीं किया गया।
इससे पहले भाकियू क्रांतिकारी सुरजीत फूल गुट के अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल, आजाद किसान कमेटी के हरपाल सिंह सांगा को निलंबित किया है। रूलदू सिंह मानसा ने बताया कि ट्रैक्टर परेड के दौरान जितने भी संगठन के लोग अन्य रूट पर गए थे, उनके खिलाफ कमेटी जांच कर रही है और इसलिए ही अभी उनको निलंबित किया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा के अधिकारियों का कहना है कि परेड के दौरान जो संगठन अलग रूट पर गए थे, उनके खिलाफ कमेटी जांच कर रही है।
केवल 14 किसान संगठनों ने लिया बैठक में भाग
बीते दिन शनिवार पंजाब के 32 किसान संगठनों की जगह केवल 14 संगठनों के पदाधिकारियों ने ही बैठक में भाग लिया। पंजाब किसान यूनियन के रूलदू सिंह ने कहा कई राज्यों में किया गया किसानों का चक्का जाम काफी सफल रहा. हम किसान आंदोलन की आगे की रणनीति बनाने पर काम कर रहे हैं। ट्रैक्टर परेड में हिंसा के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने माफी मांगी थी।
आंदोलन दो अक्तूबर तक रहेगा जारी
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि कृषि कानून के विरोध में किसानों का प्रदर्शन दिल्ली की सीमाओं पर दो अक्तूबर तक जारी रहेगा। किसानों की मांगों से कोई समझौता नहीं होगा़।