नज़रिया: मोदी के एक तीर से दो निशाने!

Edited By Seema Sharma,Updated: 18 Jul, 2018 04:08 PM

two shoots with one arrow of modi

लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने  मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष का  अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। उन्होंने इसपर अगले 10  दिन के भीतर चर्चा कराने का भी आश्वासन दिया है। इसके बाद से सरकार की स्ट्रेंथ को लेकर तमाम कयास शुरू हो गए हैं।

नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा): लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने  मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष का  अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। उन्होंने इसपर अगले 10  दिन के भीतर चर्चा कराने का भी आश्वासन दिया है। इसके बाद से सरकार की स्ट्रेंथ को लेकर तमाम कयास शुरू हो गए हैं। लेकिन तमाम चर्चाओं के बावजूद यह तय है कि  इस प्रस्ताव का हश्र क्या होगा। इसे गिरना ही है और यह औंधे मुंह गिरेगा। दिलचस्प ढंग से यह बात प्रस्ताव पेश करने वाले भी जानते हैं। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक तीर से दो निशाने साधने जा रही है। एक तो संसद को संचारू रूप से चलाना और दूसरा विपक्ष की एकता को दिखाना।  
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यह प्रस्ताव पेश क्यों किया गया? और इस सवाल का जवाब यह है कि इस बहाने कांग्रेस 2019 के चुनाव के लिए अपने महागठबंधन की संभावनाएं तौलना चाहती है। प्रस्ताव के समर्थन में मिले मतों से यह जाहिर हो जाएगा कि कौन-सा दल क्या रुझान लिए हुए है। फिलवक्त बीजेपी के पास खुद के ही इतने सांसद हैं जो सरकार बचाने को चाहिए। बीजेपी के अपने 271 सांसद हैं जो समूचे विपक्ष के पास मौजूद कुल 231  सीटों से 40 अधिक हैं। एनडीए को मिला लें तो  सत्ताधारी गठबंधन के पास 314  सांसद हैं। ऐसे में अगर एनडीए की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी शिवसेना भी अगर प्रस्ताव के विरोध में वोट करती है तो भी  सरकार का बाल बांका होने से रहा।
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भविष्य की रणनीति 
दरअसल अविश्वास प्रस्ताव विशुद्ध रूप से भविष्य की रणनीति है। इस बहाने  कांग्रेस को यह पता चल जाएगा कि कौन उसके साथ आ सकता है। कौन बीजेपी से नाराज है आदि। और उसी आधार पर फिर 2019 की रणनीति बननी है। हालांकि यही समीकरण बीजेपी के पास भी रहेंगे। मान लीजिए शिवसेना बीजेपी से दूरी दर्शाती है लेकिन उधर एआईएडीएमके बीजेपी के साथ आ जाती है तो..? उस स्थिति में तो बीजेपी और मजबूत हो जाएगी। एआईएडीएमके के पास 37 सीटें हैं और फिलवक्त वो किसी पाले में नहीं है। शिवसेना के पास 18 सीटें हैं। यानी बीजेपी की शक्ति दोगुना बढ़ जाएगी। इधर कांग्रेस को भी यह पता चल जाएगा कि  वाईएसआर कांग्रेस और बीजद का उसे लेकर क्या रुख है। यही वो चीजें हैं जिन्हें दोनों खेमे चुनाव से पहले साफ़ करना चाहते हैं। प्रस्ताव ज्योतिरादित्य सिंधिया से पेश करवाया गया। इसके भी खास मायने हैं।  यह कांग्रेस की भीतरी राजनीती का संकेत है। कुलमिलाकर  यह सारा अविश्वास प्रस्ताव ही संकेत देखने और समझने की कवायद भर है।
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क्या है दलीय स्थिति 
अब अगर अविश्वास प्रस्ताव आ ही गया है तो दलीय स्थिति की चर्चा भी जरूरी है।  लोकसभा की कुल तय सीट संख्या 545  है। दो नामित और एक स्पीकर को निकालकर यह 542 है। बीजेपी के पास 271 और एनडीए के पास 314 सांसद हैं।  समूचे विपक्ष के पास 231 सांसद हैं।  इनमे से कांग्रेसनीत यूपीए के पास 66 सांसद हैं। जो दल किसी तरफ नहीं हैं उनके पास 153 सांसद हैं। इनमे ही एआईएडीएमके , बीजद, तृणमूल और तेलगुदेशम आदि शामिल हैं।12 सांसद अन्यों में हैं जिनमे अधिकांश आज़ाद हैं।

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