Edited By Anil dev,Updated: 16 Jul, 2018 10:29 AM
नाक से टाइपिंग करने में माहिर विनोद कुमार को आज स्थायी नौकरी तक नसीब नहीं है। विनोद एक बार नहीं 4 बार गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवा चुके हैं। बावजूद इसके उसे सरकार की तरफ से कोई प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। विनोद आंखे बंद कर टाइपिंग...
नई दिल्ली(प्रियंका सिंह) : नाक से टाइपिंग करने में माहिर विनोद कुमार को आज स्थायी नौकरी तक नसीब नहीं है। विनोद एक बार नहीं 4 बार गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवा चुके हैं। बावजूद इसके उसे सरकार की तरफ से कोई प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। विनोद आंखे बंद कर टाइपिंग करने, नाक से टाइपिंग, मुंह पर स्टिक रखकर टाइपिंग और एक उंगली से टाइपिंग करने में माहिर है। उन्हें वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवॢसटी लंदन से वाइस चांसलर ने पीएचडी की उपाधि भी दी गई है।
डेट एंट्री ऑपरेटर की नौकरी कर रहे है विनोद
विनोद जेएनयू में लगभग 6 साल से पर्यावरण विज्ञान संस्थान में कॉन्ट्रैक्ट (ठेके) पर डेट एंट्री ऑपरेटर की नौकरी कर रहे है। लेकिन हमेशा से यह डर लगा रहता है कि कब उनको नौकरी से निकाल दिया जाए। यही वजह है कि उन्होंने स्थायी नौकरी के लिए मुख्यमंत्री, उपमुख्मंत्री से लेकर जेएनयू कुलपति को भी पत्र लिख चुके है। लेकिन अभी तक उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। विनोद का कहना हैं कि वह बचपन से ही अपने देश का नाम रोशन करने के सपना देखते थे। वह दुनिया के ऐसे इकलौते इंसान हैं, जिनके पास विभिन्न तरह की टाइपिंग का रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के साथ भारत का नाम भी विश्व भर में रोशन किया है। इसके बाद भी मुझे नौकरी के लिए दर-बदर भटकना पड़ रहा है। मुझे यकीन है कि जेएनयू प्रशासन की तरफ से उन्हें सकारात्मक जवाब मिलेगा। उन्होंने बताया कि जेएनयू प्रशासन का कहना है कि अभी काम प्रोसेस में है।
टेलेंट की कद्र ना होने से बढ़ी दिक्कतें
विनोद की तीन बेटियां और एक बेटा है। ऐसे में एडहॉक होने की वजह से विनोद को कम सेलरी मिलती है। इसकी वजह से वह अपने परिवार का पालन-पोषण भी सही ढंग से नहीं कर पा रहे हैं। विनोद का कहना है कि वो इसी तरह देश का नाम रोशन करते रहेंगे। क्योंकि उनका बचपन का सपना है, लेकिन किसी भी सपने को सच करने के लिए आॢथक स्थिति भी सही होनी चाहिए। जबतक मेरी स्थिति ठीक नहीं है, सरकार से यही मांग है कि वो मुझे एक स्थायी नौकरी प्रदान करे।