Edited By Tanuja,Updated: 15 Apr, 2018 03:36 PM
1857 में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ बगावत करने वाले भारतीय सिपाही आलम बेग की खोपड़ी को ब्रिटेन के इतिहासकार भारत में दफनाना चाहते हैं ।आलम बेग को मौत की सजा दी गई थी। कैप्टन एआर कोस्टेलो आलम की खोपड़ी को ब्रिटेन ले आए थे।
लंदनः 1857 में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ बगावत करने वाले भारतीय सिपाही आलम बेग की खोपड़ी को ब्रिटेन के इतिहासकार भारत में दफनाना चाहते हैं ।आलम बेग को मौत की सजा दी गई थी। कैप्टन एआर कोस्टेलो आलम की खोपड़ी को ब्रिटेन ले आए थे। बाद में केंट के तटीय शहर वाल्मर के एक पब में खोपड़ी पाई गई।
लंदन के क्वीन मेरी कॉलेज में ब्रिटिश इंपीरियल हिस्ट्री के वरिष्ठ लेक्चरर डॉ. किम वैगनर का मानना है कि हवलदार आलम को उसके जन्मस्थान पर दफनाने का यह सही समय है। उनकी खोपड़ी को भारत और पाकिस्तान सीमा पर रावी नदी के नजदीक दफनाया जाना चाहिए। इसी स्थान पर उन्होंने त्रिम्मू घाट की लड़ाई में हिस्सा लिया था। हवलदार आलम 46वें बंगाल इंफैंट्री रेजीमेंट में काम करते थे। उन पर स्कॉटिश मिशनरी के सदस्यों की हत्या करने का आरोप था।
इसे लेकर उन्हें गिरफ्तार किया गया और तोप से उड़ा दिया गया था। वैगनर का कहना है कि हमारा ध्यान केवल इस बात पर है कि मौत के 160 साल बाद गृहस्थान पर उनके अवशेष को दफनाया जाए। ब्रिटिश इतिहासकार ने इस मामले को लेकर भारत और ब्रिटेन के राजनयिकों के बीच संभावित चर्चा को जन्म दे दिया है। हालांकि उनका यह भी कहना है कि इसमें समय लगेगा और वह निकट भविष्य में ऐसा होने की उम्मीद नहीं करते हैं।
बताया जाता है कि भारत स्थित ब्रिटिश उच्चायोग, रॉयल एशियाटिक सोसाइटी और भारत के कुछ एनजीओ इस मामले में चर्चा कर रहे हैं। 2014 में खोपड़ी रखने वाले परिवार से संपर्क के बाद वैगनर ने आलम पर शोध और किताब लिखना शुरू किया। हाल ही में उनकी यह किताब प्रकाशित हुई।