CAA पर कोर्ट पहुंचा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन, भारत ने की आलोचना

Edited By shukdev,Updated: 03 Mar, 2020 08:06 PM

un human rights organization ca criticizes caa

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर सुनवाई में हस्तक्षेप का आग्रह किया है। हालांकि, भारत ने ओएचसीएचआर के इस कदम की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि सीएए भारत का...

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर सुनवाई में हस्तक्षेप का आग्रह किया है। हालांकि, भारत ने ओएचसीएचआर के इस कदम की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि सीएए भारत का आंतरिक मामला है और देश की सम्प्रभुता से जुड़े मुद्दे पर ‘किसी विदेशी पक्ष' का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं बनता है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) ने कहा है कि सुनवाई में ‘अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून, मानदंडों और मानकों' पर भी विचार करने की आवश्यकता है। 

PunjabKesari
अर्जी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैश्लेट जेरिया की ओर से दायर की गई है। इस अर्जी में कहा गया है कि वह इस मामले में मानवाधिकारों की रक्षा एवं उसे बढ़ावा देने और उस संबंध में आवश्यक वकालत करने के लिए मिले अधिदेश के आधार पर न्यायमित्र (तीसरे पक्ष) के तौर पर हस्तक्षेप करना चाहती हैं। ओएचसीएचआर ने ‘कुछ लोगों को धार्मिक आधार पर प्रताड़ना से बचाने के लिए' सीएए के ‘घोषित उद्देश्य' का स्वागत किया, लेकिन प्रताड़ित मुसलमानों के विभिन्न संप्रदायों को इस कानून के दायरे से बाहर रखने का मुद्दा उठाया। 

PunjabKesari
अर्जी में कहा गया है,‘अनियमित हालात में सीएए शरणार्थियों सहित उन हजारों आव्रजकों को लाभ पहुंचा सकता है जिन्हें सामान्य स्थिति में अपने मूल देश में मुकदमों से बचने और नागरिकता प्राप्त करके कार्रवाई से बचने में समस्या हो सकती थी। यह प्रशंसा योग्य उद्देश्य है।' उसमें कहा गया है,‘लेकिन उन देशों में धार्मिक अल्पसंख्यक है, विशेष रूप से मुसलमान समुदाय से जुड़े, जैसे अहमदिया, हजारा और शिया मुसलमान, जिनके हालात ऐसे हैं कि उन्हें भी समान आधार पर सुरक्षा की जरूरत है जिनके आधार पर सीएए में अन्य की सुरक्षा की गई है।' उच्चतम न्यायालय ने सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली तमाम याचिकाओं पर 18 दिसंबर, 2019 को केन्द्र सरकार से उसकी प्रतिक्रिया मांगी थी। 

PunjabKesari
ओएचसीएचआर का कहना है कि सीएए ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और शरणार्थियों सहित अन्य आव्रजकों पर उसके लागू होने के तरीकों के संबंध में महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। भारत ने ओएचसीएचआर के इस कदम की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि सीएए भारत का आंतरिक मामला है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि सीएए भारत का आंतरिक मामला है और देश की सम्प्रभुता से जुड़े मुद्दे पर ‘‘किसी विदेशी पक्ष'' का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं बनता है। 

PunjabKesari
उन्होंने बताया कि जिनेवा स्थित भारत के स्थाई मिशन को सोमवार शाम संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन की उच्चायुक्त मिशेल बेश्लेट ने सूचित किया कि उनके कार्यालय ने सीएए पर उच्चतम न्यायालय में ‘हस्तक्षेप की अनुमति मांगते हुए अर्जी दी है।' कुमार ने कहा,‘सीएए भारत का आंतरिक मामला है और कानून बनाने के भारतीय संसद के सम्प्रभु अधिकार से जुड़ा है। हमारा स्पष्ट मानना है कि किसी भी विदेशी पक्ष का भारत की सम्प्रभुता से जुड़ा कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।'उन्होंने कहा कि सीएए संवैधानिक रूप से वैध है और उसमें सभी संवैधानिक मूल्यों का समावेश है।

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!